उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के शासनकाल के दौरान चकबंदी लेखपाल के अनारक्षित अभ्यर्थियों के हिस्से के करीब 1000 पदों पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की भर्ती कर दी गई थी। इस बात का खुलासा कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) की जांच में हुआ है।
सीएम ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दिया आदेश
वहीं, मुख्यमंत्री ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, सपा शासनकाल में 2831 पदों पर चकबंदी लेखपाल की भर्ती हुई थी। शासन के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि एपीसी की जांच में यह बात सामने आई है कि इसमें अनारक्षित वर्ग के करीब 1000 पदों पर ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्ती कर दी गई।
यह बात तब सामने आई जब योगी सरकार में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) ने 1364 पदों के लिए चकबंदी लेखपाल की भर्ती शुरू की। इसमें अनारक्षित श्रेणी के 1002 और एससी श्रेणी के 362 पद शामिल किए गए थे। इसका विज्ञापन जारी होने के बाद ओबीसी पद नहीं होने पर सवाल उठने लगे।
पिछली सरकार में हुए खेल पर पर्दा डालने की हुई कोशिश
जब यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा तो उन्होंने भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर कृषि उत्पादन आयुक्त को जांच के आदेश दे दिए थे। अब एपीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है। मुख्यमंत्री ने एपीसी की जांच को कार्रवाई के लिए राजस्व व नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को भेज दिया है।
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बता दें कि सूबे में नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने सभी विभागों में खाली पड़े पदों पर तेजी से भर्ती के निर्देश दिए थे। इसके बाद चकबंदी आयुक्त ने पिछली भर्ती में अनारक्षित कोटे के पदों पर ओबीसी अभ्यर्थियों की भर्ती पदों का संज्ञान लेकर भर्ती प्रस्ताव तैयार कराया। इसमें पिछली सरकार में हुए खेल पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए ओबीसी के पद नहीं रखे गए और अनारक्षित पदों की पुरानी संख्या शामिल कर भर्ती प्रस्ताव भेज दिया गया।
आयोग ने आयुक्त के प्रस्ताव के आधार पर ही भर्ती के आवेदन मांग लिए। आयोग ने भी इसकी ठीक से पड़ताल नहीं की। खास बात ये रही कि चकबंदी आयुक्त ने पूर्व में नियमों को नजरंदाज कर की गई भर्ती के बारे में शासन को जानकारी तक नहीं दी।
अनुप्रिया पटेल ने की थी जांच की मांग
बता दें कि कृषि उत्पादन आयुक्त की प्रारंभिक जांच के आधार पर नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग ने चकबंदी आयुक्त शारदा सिंह को निलंबित कर दिया था। प्रांरभिक जांच में भर्ती प्रस्ताव भेजने में आयुक्त के स्तर पर गड़बड़ियों को छिपाने और गंभीर अनियमितता व लापरवाही बरतने की बात कही गई थी। अब आयुक्त सहित जांच में जिम्मेदार ठहराए गए अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
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जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भर्ती में ओबीसी कोटे के पद न होने पर सवाल उठाया था और मुख्यमंत्री से जांच की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने अनुप्रिया की शिकायत पर ही जांच के आदेश दिए थे।
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