मुरादाबाद के बाद अब लखनऊ में लगे ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर, ये है वजह…

राजधानी लखनऊ (Lucknow) में एलडीए की बसाई जानकीपुरम योजना (Jankipuram Yojna) के सेक्टर जे में पार्क की जमीन पर लाशें जलाए जाने से परेशान लोगों ने अब महानगर की काला कांकर कॉलोनी की तर्ज पर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगाए हैं। इलाके के करीब 2 दर्जन मकान मालिकों ने 20 साल बाद भी एलडीए और नगर निगम द्वारा समस्या का समाधान न किए जाने पर यह कदम उठाया है।


पार्क के बीच में लाश जाने से संक्रमण का खतरा


अपने घर में ‘मकान बिकाऊ है’ का पोस्टर लगाने वाले उमेश शुक्ला ने बताया कि साल 2002 में एलडीए से भूखंड खरीदा तो उस समय बताया गया कि भूखंड के सामने पार्क रहेगा। इसके लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क (पीएलसी) भी दिया। उनकी तरह कई दूसरे परिवार भी है, जिन्होंने पार्क के नाम पर अतिरिक्त पैसा दिया, लेकिन पार्क की जगह श्मशान बनकर रह गई है। यहां आए दिन लाशें जलाई जा रही हैं। आसापस की आबादी के कुछ परिवारों के लोग यहां लाश जलाने आते हैं। उनसे कई बार विवाद भी हुआ, लेकिन पुलिस भी एलडीए या नगर निगम के हस्तक्षेप के बिना कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। महीने में औसतन एक लाश यहां जलाई ही जाती है।


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वहीं, स्थानीय निवासी विद्याधर द्विवेदी ने बताया कि एलडीए ने ले-आउट पर भूखंड के आगे पार्क दिखा रखा है। इसके बाद पार्क की जमीन के बीच में एक पट्टी में श्मशान दिखा दिया। रजिस्ट्री के समय इसका पता चला। अब पार्क के बीच लाश जलाई जाती है। इससे पूरे परिवार की मनोदशा भी खराब होती है और संक्रमण का भी खतरा बना रहता है।


एलडीए ने माना पार्क, लेकिन नहीं किया सुधार


जानकारी के अनुसार, 2019 में संजुला श्रीवास्तव ने आईजीआरस पोर्टल पर एक शिकायत भी की थी। इस शिकायत के बाद एलडीए ने यहां पार्क माना और शासन को भेजे जवाब में पार्क के सौंदर्यीकरण के लिए आगणन तैयार करने की जानकारी भी दी, लेकिन सौंदर्यीकरण कर श्मशान खत्म करने का प्रयास नहीं किया। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर एलडीए या नगर निगम गांव वालों को श्मशान के लिए दूसरी जगह जमीन दे दें तो समस्या का हल निकल सकता है।


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वहीं, जानकीपुरम विस्तार संयुक्त कल्याण महासमिति के महासचिव विनय कृष्ण पांडेय का कहना है कि यह केवल सेक्टर जे की ही समस्या नहीं हैं। जानकीपुरम विस्तार के सेक्टर-2 में भी इसी तरह आबादी के बीच श्मशान की जगह छोड़ दी गई। गौशाला के पास भी एक श्मशान अभी भी चालू है। गोमतीनगर के विनम्रखंड में भी इसी तरह की दिक्कत है। एलडीए और नगर निगम को योजना बनाकर इस दिक्कत को दूर करने के लिए काम करना चाहिए।


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