समाजवादी पार्टी (सपा) के चुनाव चिन्ह पर वाराणसी संसदीय क्षेत्र नामांकन करने वाले बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव नामांकन रद्द कर दिया है. यादव ने कहा कि जिला निवार्चन अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दवाब में आकर उनका नामांकन पत्र खारिज किया है. जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र कुमार के अनुसार तेज बहादुर को 11 बजे तक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना था लेकिन दोपहर तीन बजे तक भी नहीं ला सके. इसलिए उनका प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है.
रिटर्निंग ऑफिसर और वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह के मुताबिक तेज बहादुर के दो नामांकन में अलग-अलग जानकारी दी गई थी. जिसका स्पष्टीकरण समय पर और संतोषजनक नहीं दिया गया. लिहाजा तेज बहादुर का नामांकन ख़ारिज कर दिया गया. रिटर्निंग ऑफिसर और वाराणसी के जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि तेज बहादुर को सर्टिफिकेट लाने के लिए जितना समय दिया जाना चाहिए था वह दिया गया. लेकिन उन्होंने सर्टिफिकेट जमा नहीं किया. जिसकी वजह से उनका नामांकन ख़ारिज किया गया.
जिलाधिकारी ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति केंद्र या राज्य सरकार के तहत नौकरी कर चुका है और उसकी बर्खास्तगी भ्रष्टाचार या अनुशासनहीनता के आरोपों की वजह से हुई है तो इस स्थिति में उसे चुनाव लड़ने के लिए चुनाव आयोग से एक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. लेकिन तेज बहादुर ने यह सर्टिफिकेट अपने नामांकन के साथ नहीं दाखिल किया. उन्हें आज 11 बजे तक का समय दिया गया था. गौरतलब है कि तेज बहादुर ने दो पर्चे दाखिल किए थे. एक निर्दलीय और दूसरा सपा के सिंबल के साथ. दोनों में ही उन्होंने अपनी बर्खास्तगी को लेकर अलग-अलग कारण बताए थे.
2017 में बीएसएफ जवान के तौर पर तेज बहादुर यादव चर्चा में आए थे. उन्होंने एक वीडियो जारी सेना के जवानों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी पर सवाल खड़े किए थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. सेना की तरफ से अनुशासनहीनता का दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया था. जिसके बाद से ही वह सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे और अंत में उन्होंने वाराणसी से पीएम के खिलाफ ही चुनाव लड़ने की ठानी.
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