उत्तर प्रदेश पुलिस में ड्यूटी के दौरान बिगड़े हुए टाइमिंग और काम के प्रेशर को देखते हुए लगातार ही पुलिसकर्मी त्यागपत्र दे रहे हैं। मेरठ जिले में तो ट्रेनिंग से पहले ही कई कैंडिडेट्स ने त्यागपत्र दे दिया है। कैंडिडेट्स का कहना है कि उनमें से अधिकांश को शिक्षक के पद पर नौकरी मिल गई है, जिसकी वजह से उन्हें पुलिस की नौकरी नहीं करनी।
33 ने दिया त्यागपत्र
जानकारी के मुताबिक, मेरठ पुलिस लाइन में छह अक्तूबर से यूपी पुलिस आरक्षी प्रशिक्षुओं की जूनियर ट्रेनिंग शुरू हुई। 268 जवानों को कॉल लेटर भेजा गया। 237 ने ही ट्रेनिंग में आमद दर्ज कराई। 31 लोग ट्रेनिंग में नहीं आए। पुलिस लाइन से फोन करके इनसे नहीं आने का कारण पूछा गया तो पता चला कि ज्यादातर का नंबर प्राथमिक स्कूलों की 69 हजार शिक्षक भर्ती में आ गया है। इसके अलावा दो युवकों की तैनाती दूसरे विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर हुई है।
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इससे पहले गोरखपुर और बस्ती मंडल के तकरीबन 53 सिपाहियों ने इस्तीफा दिया है। इनमे 51 सिपाही अब शिक्षक बन गए हैं।जबकि एक जेई व एक अन्य ने रेलवे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक बनना पसंद किया है। पुलिसकर्मी विभाग के बढ़ते प्रेशर की वजह से नौकरी छोड़ना पसंद कर रहे हैं।
ये वजह आई सामने
बता दें कि हाल ही में यूपी पुलिस की नौकरी छोड़ने के पीछे दो बड़ी वजहें सामने आईं हैं। इनमे से एक है वेतन में बड़ा अंतर और दूसरी है काम का दबाव। इस्तीफा देने वाले एक सिपाही ने बताया था कि शिक्षक का वेतन पे बैंड 4200 रुपये है, जबकि सिपाही का सिर्फ 2000। वेतन में ही भारी अंतर है। दूसरे, पुलिस की नौकरी में चौबीसों घंटे काम करना होता है। शिक्षा विभाग व अन्य नौकरियों में ऐसा नहीं है।जबकि ध्यान देने वाली बात ये भी है कि सिपाही की नौकरी में प्रमोशन के अधिक अवसर होते हैं, जबकि शिक्षक को अधिकतम एक ही प्रमोशन मिलता है।
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