उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) के 43 थानों में से 14 में क्षत्रिय जाति के थानाध्यक्ष हैं. यानी राजधानी में करीब एक तिहाई थानों में ठाकुर थानाध्यक्ष हैं. वहीं ब्राह्मण थानाध्यक्षों की संख्या 11, 09 अन्य पिछड़ा वर्ग, 8 में अनुसूचित जाति और एक सामान्य मुस्लिम है. लेकिन लखनऊ के 43 थानों में से एक पर भी यादव थाना प्रभारी नहीं है. इस बात का खुलासा आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा लगाई RTI में हुआ है.
20 प्रतिशत SO ओबीसी
RTI में हुए खुलासे के मुताबिक 60 प्रतिशत थाना प्रभारी क्षत्रिय या ब्राह्मण जाति के हैं. इसके विपरीत अन्य पिछड़ा वर्ग के मात्र 20% तथा अनुसूचित जाति के 18% थाना प्रभारी वर्तमान समय में लखनऊ में तैनात हैं. आरटीआई सूचना के अनुसार पिछड़ा वर्ग में 6 थाना प्रभारी कुर्मी, 1 काछी, 1 मुराई तथा 1 मुस्लिम हैं और इस वर्ग में कोई यादव थाना प्रभारी नियुक्त नहीं है.
इसके अलावा पूरे जनपद में मात्र 2 मुस्लिम थानाध्यक्ष हैं, जिनमें सामान्य वर्ग के फरीद अहमद अलीगंज और पिछड़ा वर्ग के मोहम्मद अशरफ थाना जानकीपुरम में तैनात हैं. नूतन के अनुसार थाना प्रभारियों की तैनाती में शासनादेश का साफ उल्लंघन दिखता है.
गौरतलब है कि यूपी में 2012 से 2017 तक रही अखिलेश सरकार पर कुछ इसी तरह के आरोप लगा करते थे. यूपी के थानों में यादवों की तैनाती को लेकर समाजवादी पार्टी को विपक्ष भी घेरा करता था. साल 2015 में UPPSC की भर्ती पर जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने भी ट्वीट किया था. उन्हें ट्वीट में लिखा था कि यूपी पीसीएस में एसडीएम पद के लिए पास 86 में से 56 कैंडिडेट यादव जाति के हैं.
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