श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद: शाही ईदगाह मस्जिद ने कोर्ट में दाखिल किया ऑब्जेक्शन, कल आ सकता है फैसला

मथुरा श्रीक्रष्ण विवाद मामले (Mathura Shri Krishna Janmabhoomi Case) की गुरूवार को सिविल कोर्ट में सुनवाई हुई. श्रीक्रष्ण विराजमान की याचिका पर तकरीबन एक घंटे तक हियरिंग चलती रही. इस दौरान शाही ईदगाह मस्जिद ने कोर्ट में अपना ऑब्जेक्शन दाखिल किया. सुनवाई में श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा पक्षकार बनाए गए, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान के अधिवक्ताओं द्वारा अपना पक्ष रखा गया. बता दें कि इससे पहले 10 दिसंबर, 2020 को सिविल कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन एन मौके पर मथुरा जिला जज के अवकाश पर चले जाने के कारण सुनवाई टल गई थी.


जिला जज की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान पक्षकार शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा द्वारा श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका को गलत बताते हुए अपना ऑब्जेक्शन दाखिल किया. उन्होंने कोर्ट में शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा द्वारा श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका को नॉन मेंटेनेबल बताया. इस पर श्रीकृष्ण विराजमान पक्ष द्वारा याचिका के स्वीकार करने की बात कहते हुए ईदगाह पक्ष के नॉन मेंटनेबल के दावे को गलत बताया. कोर्ट ईदगाह मस्जिद मथुरा के दायर ऑब्जेक्शन को पढ़ने के बाद अपना फैसला कल सुनाएगा.


श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा अदालत से 1967 के सिविल दावे के माध्यम से किए उस डिक्री  (न्यायिक निर्णय) को खारिज करने के लिए कहा है, जिसमें 13.37 एकड़ भूमि पर निर्णय लिया गया. इस मामले में वादियों ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट मैनेजिंग ट्रस्टी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान सचिव को प्रतिवादी बनाया था.


बता दें कि श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है, जिस पर मथुरा कोर्ट सुनवाई करेगी. याचिका में श्री कृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की भी मांग की गई है. याचिका में अदालत की निगरानी में विवादित जगह की खुदाई करने की मांग भी गई है. याचिकाकर्ता ने कहा कि खुदाई की एक जांच रिपोर्ट पेश की जाए. दावा किया गया है कि जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई थी, उसी जगह पर कारागार मौजूद है जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. अगर खुदाई कराई जाएगी तो यह बात साबित हो जाएगी.


इस याचिका में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को भी चुनौती दी गई है. दरअसल इस एक्ट में देश में मौजूद धार्मिक स्थलों का स्वरूप 15 अगस्त 1947 के समय जैसा ही बनाए रखने का प्रावधान किया गया. इस एक्ट में सिर्फ अयोध्या मंदिर को ही छूट दी गई थी. यही कानून काशी-मथुरा में हिंदुओं को मालिकाना हक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने से रोकता है.


गौरतलब है कि इससे पूर्व सितंबर महीने में लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री, विष्णु जैन, करूणेश शुक्ला समेत आधा दर्जन कृष्ण भक्तों ने मथुरा की अदालत में भगवान श्रीकृष्ण की ओर से याचिका दाखिल कर मांग की थी कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के मध्य 1968 में किया गया समझौता पूरी तरह से अविधिपूर्ण है, इसलिए उसे निरस्त कर ईदगाह की भूमि श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट को वापस कर दी जाए. उन्होंने इस मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह प्रबंधन समिति, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट एवं श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को प्रतिवादी बनाया.


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