बिहार के पूर्णिया (Purnia, Bihar) के बायसी थाना के मझुआ कांड में अब महिलाओं ने दिल दहला देने वाली आपबीती बयां की है. उस रात सैकड़ों की संख्या में आए दरिंदे हाथों में पेट्रोल और हथियार लेकर अचानक मझुवा के महादलित टोला (Mahadalit Colony) पर कहर बनकर टूट पड़े. बस्ती को घेरकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी. इससे भी जब मन नहीं भरा तो घरों में घुसकर महिलाओं की इज्जत-आबरू से खिलवाड़ की कोशिश की. इतना ही दरिंदों ने गर्भवती महिला को भी बख्शा.
पूर्णिया के बायसी थाना के मझुआ गांव में 19 मई की स्याह काली रात में मुस्लिम समुदाय के सैकड़ों लोगों ने महादलित बस्ती के 13 घरों को पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी. एक पूर्व चौकीदार नेवालाल की पीटकर हत्या कर दी गई. इससे भी मन नहीं भरा तो दरिन्दों ने बहू-बेटियों की इज्जत तक लूटने की कोशिश की. आज भी इन पीड़ित महादलितों के जेहन में वो खौफनाक काली रात की भवायह तस्वीर यादकर सिहर उठता है. पीड़िता धनवंती देवी और पीड़ित रमन लाल हरिजन बताते हैं कि किस तरह उस रात को उनके घरों को आग लगाकर सैकड़ों लोगों की भीड़ ने उनलोगों पर अमानवीय अत्याचार किया था. लोगों ने गर्भवती महिला, बूढे़ और बच्चों तक को बेरहमी से पीटा और महिलाओं के इज्जत आबरू से खिलवाड़ करने की कोशिश की.
पीड़िता ने बताया- अर्धनग्न अवस्था में भागकर बचाई जान
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पीड़िता ने बताया कि इलियास उनके घर में घुस गया और उनके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की. सफल नहीं होने पर इलियास ने बाइक की चेन से बेरहमी से उसकी पिटाई कर दी. किसी तरह वह जान बचाकर भागी. उनके पीठ और शरीर पर आज भी उस जख्म के निशान मौजूद हैं. यही हालात गांव की और भी महिलाओं के हैं. एक आशाकर्मी ने बताया कि उसने हमलावरों के घरों में कई बार डिलीवरी भी करवाया है. इस सेवा के बदले उन दरिंदों ने उनकी भी आबरू लूटने की कोशिश की और तलवार से हमले की कोशिश की गई. किसी तरह अर्धनग्न अवस्था में उन्होंने भाग कर अपनी जान बचाई. यही स्थिति कमोबेश गांव की कई महिलाओं की है.
वर्षों से दलितों को भगाने की फिराक में मुसलमान, पहले भी कर चुके हमला
बयासी थाने के मझुआ गांव में महादलितों की बस्ती है, जिसमें 90 से ज़्यादा घर हैं, वहीं साथ के टोले में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग रहते हैं. जो वर्षों से ये दबाव बना रहे हैं कि महादलित इस इलाके से चले जाएं. 2015 के बाद से महादलितों की बस्ती पर कई बार हमले हुए ताकि वो बस्ती छोड़ कर भाग जाएं, लेकिन महादलितों के पास भी अपनी ज़मीन नहीं हैं, इसलिए वो यहीं सरकारी ज़मीन डटे रहे. सूचना के मुताबिक इस गांव में पहले भी तनाव रहा है तीन वर्ष तक यहां पुलिस की भी तैनाती रही. बीते वर्ष अप्रैल के महीने में भी महादलितों की बस्ती में आग लगाई गई थी.
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