उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में दारोगा अरविंद प्रताप सिंह हत्याकांड में 18 साल बाद विशेष अदालत का फैसला आ गया है। विशेष अदालत ने महिला दारोगा शबनम को सात साल कैद की सजा सुनाई है। दो दिन पहले ही महिला दारोगा को अदालत ने दोषी करार देकर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। विशेष अदालत ने दरोगा शबनम खान को हत्या की बजाय गैरइरादतन हत्या में दोषी माना है।
साल 2000 में रिसाला चौकी इंचार्ज के सिर पर ईट मारकर कर दी थी हत्या
जानकारी के मुताबिक, साल 2000 में रिसाला चौकी इंचार्ज अरविंद की सिर पर ईट मारकर ���त्या कर दी गई थी। हत्या के मामले में महिला दारोगा शबनम ने जब दूसरे दिन एसएसपी के सामने सरेंडर किया तो पूरे पुलिस विभाग में खलबली मच गई। शबनम पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि मुकदमा शबनम व दो अज्ञात के खिलाफ था। लेकिन पुलिस ने शेष दो आरोपितों को नहीं ढूंढ सकी।
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पुलिस ने अपहरण की धारा 364 व हत्या की धारा 302 के तहत चार्जशीट लगाई। 18 साल बाद शनिवार को इस मामले में अदालत का फैसला आ गया। स्पेशल जज एससीएसटी एक्ट रविनाथ की अदालत ने मामले को हत्या नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या का दोषी पाते हुए महिला दारोगा शबनम को सात साल की सजा सुनाई। इसके अलावा 40 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
दारोगा पर शबनम ने दुष्कर्म का लगाया था आरोप
दारोगा अरविंद के पिता किशन लाल सीओ थे। पिता की मौत के बाद 1998 में अरविंद को दारोगा की नौकरी मिली। अरविंद 1998 से ही बरेली में तैनात थे। बरेली में दो साल की नौकरी के दौरान ही उनकी शबनम से जान-पहचान हो गई। हत्या से 90 दिन पहले ही अरविंद की शादी हुई थी। अरविंद की मौत के बाद उनकी जगह पत्नी को नौकरी मिली। आज वह हापुड़ में इंस्पेक्टर हैं।
दारोगा अरविंद और शबनम 1998 बैच के थे। दोनों ने एक साथ मुरादाबाद में ट्रेनिंग की थी। शबनम अमरोहा के हसनपुर थानाक्षेत्र की रहने वाली है। ट्रेनिंग के दौरान ही दोनों के बीच दोस्ती हो गई। इत्तफाक यह रहा कि ट्रेनिंग के बाद दोनों की पोस्टिंग भी बरेली में हो गई। हत्या के बाद दोनों के संबंधों को लेकर खासी चर्चा रही। खुद शबनम का आरोप था कि दारोगा अरविंद ने उसके साथ दुष्कर्म किया व उसके अश्लील फोटो खींचकर ब्लैकमेल करता था।
हत्याकांड की वजह से नहीं हो सका शबनम का प्रमोशन
1998 बैच के सभी दारोगाओं का 2016 में प्रमोशन हो गया। इस बैच के सभी दारोगा इंस्पेक्टर बन गए। चूंकि शबनम पर हत्या का मुकदमा दर्ज था लिहाजा उसके प्रमोशन का लिफाफा बंद कर दिया गया। वह दारोगा ही बनी रही। वर्तमान में वह मुरादाबाद कोतवाली में तैनात थी। 25 फरवरी को उसका तबादला कांठ कोतवाली में हुआ। 28 फरवरी को इसी मुकदमे में बरेली में कोर्ट ने उसे कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया था।
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