सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने अहम फैसले में अयोध्या रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले का स्थायी हल निकालने की कवायद के तहत इसे मध्यस्थता के लिए सौंप दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सुप्रीम जस्टिस एफएम इब्राहिम खल्लीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू को मध्यस्थ नियुक्त किया गया है. मध्यस्थता की पूरी प्रकिया फैजाबाद में बंद कमरे में कैमरे के सामने होगी. यानि इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और मीडिया को इसकी कवरेज से दूर रहने के आदेश भी दिए गए हैं. 4 हफ्ते में मध्यस्थता पैनल गठित कर, 8 हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. आइए जानते हैं कौन हैं श्रीराम पंचू.
श्रीराम पंचू वरिष्ठ वकील हैं, जिन्हें एक नामी मध्यस्थ के रूप में जाना है. पंचू मध्यस्थता सेवाएं प्रदान करने वाले मध्यस्थता मंडलों को भी चलाते हैं. क्षेत्र में अग्रणी के रूप में वह एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडियेटर्स के अध्यक्ष भी हैं. वह अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता निकायों का भी हिस्सा हैं.
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान ने श्रीराम पांचू के विवरण में लिखा है कि “श्री पंचू को विभिन्न संस्कृतियों और राष्ट्रीयताओं की पार्टियों के बीच विवादों की मध्यस्थता करने में व्यापक अनुभव है. उन्होंने स्टैंडर्ड मोटर्स केस सरीखे बेहद उच्च मध्यस्थता केस में भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी. निजी मध्यस्थता क्षेत्र में उन्होंने प्रमुख उद्यमों से जुड़े विवादों को संभाला है.
अपनी पारंपरिक कानूनी अभ्यास और मध्यस्थता के अलावा, उन्होंने सुशासन, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, पर्यावरण संरक्षण और उपभोक्ता अधिकारों के क्षेत्र में कई सार्वजनिक हित के मामले हैंडल किए हैं.
इससे पहले असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद की मध्यस्थता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें नियुक्त किया गया था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मुंबई में पारसी समुदाय के बीच विवाद में मध्यस्थ नियुक्त किया था.
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के लिए तीन मध्यस्थों को नियुक्त किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक हफ्ते में मध्यस्थता शुरू हो जानी चाहिए. फिलहाल तीन मीडिएटर हैं लेकिन अगर मध्यस्थ चाहें तो और सदस्यों को भी शामिल कर सकते हैं.
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