Home Article NIELIT गोरखपुर द्वारा”साइबर सुरक्षा: चुनौतियाँ और संभावनाएँ” पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

NIELIT गोरखपुर द्वारा”साइबर सुरक्षा: चुनौतियाँ और संभावनाएँ” पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

मुकेश कुमार, ब्यूरो चीफ़ पूर्वांचल। राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (NIELIT), गोरखपुर, जो इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत है, द्वारा “साइबर सुरक्षा: चुनौतियाँ और संभावनाएँ” विषय पर एक कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य साइबर सुरक्षा के बढ़ते महत्व पर जागरूकता बढ़ाना और संवाद को प्रोत्साहित करना था।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. मदन मोहन त्रिपाठी, महानिदेशक एवं माननीय कुलपति, नाइलिट, प्रो. पूनम टंडन, माननीय कुलपति, दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर, कर्नल अभिषेक मान सिंह, कमांडिंग ऑफिसर, एनसीसी, तथा डॉ. डी.के. मिश्रा, निदेशक, नाइलिट गोरखपुर द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

इस कार्यशाला में शिक्षाविदों, उद्योग विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों तथा विभिन्न तकनीकी पृष्ठभूमियों से आए छात्रों ने भाग लिया। चर्चा के केंद्र में साइबर खतरों में वृद्धि, डेटा उल्लंघन, रैनसमवेयर हमले और कुशल साइबर सुरक्षा पेशेवरों की अत्यधिक आवश्यकता जैसे विषय शामिल थे।

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कार्यशाला की प्रमुख विशेषताएँ:

मुख्य अतिथि का संबोधन:
डॉ. मदन मोहन त्रिपाठी ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए साइबर सुरक्षा की सक्रिय रणनीतियों और राष्ट्रीय स्तर पर तत्परता की आवश्यकता पर बल दिया। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP), 2023 भारत में डेटा सुरक्षा और व्यक्तिगत गोपनीयता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल नागरिकों को उनके डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि संगठनों को उत्तरदायित्व और पारदर्शिता के साथ डेटा संसाधन हेतु मार्गदर्शन भी करता है। वर्तमान समय में जब साइबर खतरों की प्रकृति और तीव्रता लगातार बढ़ रही है, यह अधिनियम राष्ट्रीय स्तर पर साइबर सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। हमें तकनीकी विशेषज्ञता के साथ-साथ नैतिक मूल्यों पर आधारित साइबर पेशेवर तैयार करने की आवश्यकता है, और नाइलिट इस दिशा में पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है।

तकनीकी सत्र: तकनीकी सत्रों को श्री उपेन्द्र कुमार सिंह, उपनिरीक्षक, साइबर सेल/साइबर थाना, उत्तर प्रदेश पुलिस;डॉ. ओ.एन. तिवारी, प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च, जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा; औरश्री अभिनव मिश्रा, वैज्ञानिक-डी, नाइलिट गोरखपुर द्वारा संबोधित किया गया।

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विशेषज्ञ वक्ताओं ने निम्न विषयों पर विचार साझा किए:

वर्तमान साइबर सुरक्षा रुझान
एथिकल हैकिंग और साइबर फॉरेंसिक
कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित साइबर खतरों
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम, 2023, जो भारत का पहला व्यापक डेटा गोपनीयता कानून है
साइबर सुरक्षा क्षेत्र में करियर के अवसर

प्रायोगिक प्रदर्शन (हैंड्स-ऑन): प्रतिभागियों को थ्रेट डिटेक्शन, पेनिट्रेशन टेस्टिंग और डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा से जुड़ी लाइव डेमो के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ।

पैनल चर्चा: विशेषज्ञों के एक पैनल ने भारत में साइबर सुरक्षा का भविष्य, सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका और शैक्षणिक पाठ्यक्रम में साइबर सुरक्षा के एकीकरण पर चर्चा की।
कार्यक्रम में साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस, रैनसमवेयर रक्षा और डेटा गोपनीयता के कानूनी परिदृश्य जैसे विषयों पर भी सत्र आयोजित किए गए। प्रतिभागियों ने ज्ञानवर्धक और व्यवहारिक सत्रों की सराहना की।

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यह कार्यशाला साइबर सुरक्षा क्षेत्र में जागरूकता, शिक्षा, और सहयोग की आवश्यकता को उजागर करती है, साथ ही इस क्षेत्र में करियर और नवाचार की विशाल संभावनाओं को सामने लाती है।
डॉ. डी.के. मिश्रा, निदेशक, नाइलिट गोरखपुर ने इस अवसर पर बताया की “डिजिटल दुनिया के निरंतर विस्तार के साथ साइबर सुरक्षा अब केवल एक तकनीकी विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यक्तिगत गोपनीयता से जुड़ा एक अनिवार्य क्षेत्र बन चुका है। इस कार्यशाला का उद्देश्य न केवल छात्रों और पेशेवरों को वर्तमान साइबर खतरों के प्रति जागरूक करना था, बल्कि उन्हें व्यावहारिक कौशल और ज्ञान प्रदान करना भी था जिससे वे साइबर दुनिया में सुरक्षित और सक्षम रह सकें। नाइलिट गोरखपुर इस दिशा में निरंतर कार्य करता रहेगा और इस क्षेत्र में कौशल विकास व अनुसंधान को बढ़ावा देगा।”

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