समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि दलितों के खिलाफ अपराधों में उत्तर प्रदेश देश में सबसे ऊपर है। अखिलेश ने सोशल मीडिया पर एक ग्राफिक्स साझा कर लिखा, एक आंकड़ा यह भी है और बताया कि प्रदेश में दलितों के खिलाफ 15,130 अपराध दर्ज हुए हैं, जबकि राजस्थान में 8,449 और मध्यप्रदेश में 8,232 मामले सामने आए।
एक आँकड़ा ये भी है। सिर्फ़ पक्षपात के चश्मे से नहीं, पीड़ा भरी आँख से भी देखा जाए। उप्र में दलित दमन चरम पर है। pic.twitter.com/8XwKLGRlK5
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 2, 2025
दलित दमन चरम पर: अखिलेश यादव
एक आँकड़ा ये भी है। भाजपा सरकार के काम को सिर्फ़ पक्षपात के चश्मे से नहीं, पीड़ा भरी आँख से भी देखा जाए। उप्र में दलित दमन चरम पर है।
– एक टीवी शो इस आँकड़े पर भी होना चाहिए।
– एक होर्डिंग इस सच का भी लगना चाहिए।
– एक विस्तृत रिपोर्ट इस पर भी समाचार के रूप में… pic.twitter.com/UUPMF5lkeF— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 2, 2025
सपा अध्यक्ष ने कहा कि ये आंकड़े भाजपा सरकार के सुरक्षा संबंधी दावों की पोल खोलते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इस मुद्दे पर टीवी शो और होर्डिंग भी होने चाहिए ताकि जनता सच्चाई जान सके। साथ ही उन्होंने मांग रखी कि इस विषय पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए, एसआईटी का गठन हो, जांच आयोग बैठाया जाए और यहां तक कि पाठ्यक्रम में भी एक अध्याय जोड़ा जाए।
महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी आगे
एनसीआरबी की रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के आंकड़े भी सामने आए हैं। 2023 में महिलाओं पर अत्याचार के करीब 4.5 लाख मामले दर्ज हुए, जो पिछले दो वर्षों की तुलना में मामूली वृद्धि दर्शाते हैं। इनमें उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है, जहां 66,381 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद महाराष्ट्र (47,101), राजस्थान (45,450), पश्चिम बंगाल (34,691) और मध्यप्रदेश (32,342) का स्थान रहा।
घरेलू हिंसा और क्रूरता के मामले सर्वाधिक
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामले सबसे अधिक रहे। अकेले इस श्रेणी में 1,33,676 मामले दर्ज किए गए, जो कुल अपराधों का बड़ा हिस्सा हैं। एनसीआरबी के ये ताजा आंकड़े यूपी की कानून-व्यवस्था और महिलाओं एवं दलितों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।