Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों पर 65% से अधिक मतदान दर्ज हुआ, जो अब तक का बड़ा रिकॉर्ड है। मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जिलों में वोटिंग का प्रतिशत 71% से ऊपर पहुंच गया। तुलना करें तो 2020 के पहले चरण में 55.68% वोटिंग हुई थी, तब चुनाव केवल 71 सीटों पर हुआ था। इस बार पुरुषों ने 61% और महिलाओं ने 69% वोट डाले, यानी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से करीब 8% अधिक रही। यह उत्साह बिहार की राजनीति में नए संकेत दे रहा है।
SIR बना वोटिंग बढ़ने का अहम कारण
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि वोटिंग प्रतिशत बढ़ने की सबसे बड़ी वजह विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) रही। इस प्रक्रिया में मृतकों और डुप्लीकेट वोटरों के नाम हटाए गए, जबकि नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए। पिछली बार कुल मतदाता 7.89 करोड़ थे, जो अब घटकर 7.41 करोड़ रह गए हैं। लगभग 48 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने से वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है। विश्लेषकों के अनुसार, बढ़े हुए 7.7% वोट में लगभग 3.7% का योगदान SIR का है।
महिलाओं की बढ़ी भागीदारी
महिलाओं के बढ़े वोट प्रतिशत ने एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों में हलचल मचा दी है। एनडीए चिंतित है कि बढ़ी हुई वोटिंग कहीं सत्ता-विरोधी लहर का संकेत तो नहीं, जबकि महागठबंधन को आशंका है कि महिला वोटरों का रुझान नीतीश कुमार की ओर न चला जाए। 2020 में जहां 59.69% महिलाओं ने वोट दिया था, वहीं इस बार यह आंकड़ा 69% के करीब पहुंच गया है।
युवा और जेन जेड की नई ताकत
पहले चरण की वोटिंग में युवाओं की भूमिका भी अहम रही। पहली बार वोट डालने वाले 18 से 19 वर्ष के 7.37 लाख युवाओं ने चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लिया। वहीं 20 से 29 साल के करीब 80 लाख मतदाता भी इस बार वोट देने पहुंचे। इस नई पीढ़ी की बढ़ती भागीदारी बिहार की राजनीति में परिवर्तन का संकेत दे रही है।
पारदर्शिता में सुधार
SIR के तहत डुअल वोटरों के नाम सही किए गए, जिससे वोटिंग प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनी। दो जगह नाम दर्ज रहने वाले मतदाताओं के सुधार से वोटिंग प्रतिशत में प्राकृतिक वृद्धि हुई। राजनीतिक विश्लेषक प्रवीण बागी के मुताबिक, मृतकों के नाम हटाने, डुअल वोटर सुधार और युवाओं की सक्रियता ने मिलकर इस ऐतिहासिक वोटिंग प्रतिशत को संभव बनाया। इससे बिहार की राजनीति में नए समीकरण और संभावनाएं जन्म ले रही हैं।


















































