‘निठारी कांड…’, मासूम बच्चों की मौतें, 19 साल तक लड़ाई, पर न्याय अब भी अधूरा

Nithari Kand: नोएडा (Noida) के निठारी गांव (Nithari Village) की गलियों में आज भी एक गहरा सन्नाटा पसरा हुआ है। यह वही निठारी है, जहां कभी मासूमों की हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। गांव की कोठी नंबर डी-5 में रहने वाले मोनिंदर सिंह पंधेर (Moninder Singh Pandher) और उसके नौकर सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) पर बच्चों की बेरहमी से हत्या करने और उनके अवशेष घर के पीछे दफनाने का आरोप था। अब, जब दोनों को अदालत से जमानत मिल चुकी है, तो उस दर्दनाक घटना की याद फिर से गांव में लौट आई है। उन घरों में, जहां कभी बच्चों की खिलखिलाहट गूंजती थी, अब केवल खालीपन और डर रह गया हैं।

पीड़ित परिवारों की टूटी उम्मीदें

झब्बू लाल, जो उन्नाव से निठारी आए, अपनी 10 वर्षीय बेटी ज्योति के न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं। ज्योति न केवल पढ़ाई में होशियार थी, बल्कि डॉक्टर बनने का सपना भी देख रही थी। उनका कहना है कि अगर आरोपी निर्दोष थे, तो उनकी मासूम बेटी की मौत कैसे हुई। किशन लाल और उनकी पत्नी पूनम ने अपने तीन साल के बेटे हर्ष को खो दिया। आज भी पूनम अपने बेटे की याद में आंखें नम करती हैं। दोनों परिवार अब न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं।

निठारी कांड का इतिहास

  • 2005-2006: निठारी गांव से कई बच्चे और महिलाएं लापता होने लगे।
  • दिसंबर 2006: पुलिस ने मोनिंदर और सुरेंद्र के घर से हड्डियां और शरीर के अंग बरामद किए।
  • 2007: मामला सीबीआई को सौंपा गया। सुरेंद्र कोली ने पूछताछ में कई हत्याओं को कबूल किया।
  • 2009-2011: सीबीआई की विशेष अदालत ने कोली को फांसी और पंधेर को उम्रकैद की सजा सुनाई।
  • 2014-2015: सुप्रीम कोर्ट ने कोली की फांसी को उम्रकैद में बदला।
  • अक्टूबर 2023: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों को 12 मामलों में बरी कर दिया।
  • 20 अक्टूबर 2023: पंधेर अंतिम मामले में बरी होकर जेल से बाहर आए।
  • नवंबर 2025: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को भी दोषमुक्त किया।

न्याय प्रक्रिया में उलझन

सीबीआई अदालत में पहले फैसला 13 फरवरी 2009 को सुनाया गया। सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंधेर को फांसी की सजा दी गई थी। सुरेंद्र कोली ने अपराध कबूल किया था, जिसमें महिला के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद शरीर के अंग काटने की बातें शामिल थीं।2014 में सुरेंद्र कोली की फांसी को सुप्रीम कोर्ट में रोक लगा दी गई। अदालत ने विशेष सुनवाई के बाद उसे और मोनिंदर पंधेर को कुछ मामलों में बरी कर दिया।

लंबी सुनवाई और जमानत

निठारी कांड में कुल 19 मामलों में सुनवाई लगभग 19 साल तक चली। अलग-अलग फैसलों में कोली को कई मामलों में फांसी और पंधेर को उम्रकैद और कुछ मामलों में बरी किया गया।2025 तक सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के बाद सहआरोपी सुरेंद्र कोली भी आरोपी जेल से बाहर आ गए। इस फैसले के बाद पीड़ित परिवारों में न्याय की उम्मीद पूरी तरह खत्म हो गई।

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