‘धर्म की रक्षा के लिए शक्ति भी साधना है…’,रामलला प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ पर बोले – राजनाथ सिंह

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर अयोध्या की पवित्र धरती से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसा संदेश दिया, जिसमें आस्था, राष्ट्र और शक्ति, तीनों का संतुलन झलकता है।

उन्होंने कहा कि सदियों तक विदेशी आक्रांताओं ने सनातन परंपराओं को मिटाने का प्रयास किया, लेकिन आज राम मंदिर पर लहराता भगवा ध्वज यह साबित करता है कि भारतीय सभ्यता न दबाई जा सकती है, न मिटाई जा सकती है। यह ध्वज केवल आस्था नहीं, बल्कि सभ्यतागत निरंतरता का उद्घोष है।

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राम मंदिर परिसर के अन्नपूर्णा मंदिर में धर्मध्वजा फहराने के बाद राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने यह कार्रवाई भगवान श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप की—जहाँ शक्ति का प्रयोग प्रतिशोध नहीं, बल्कि धर्म की रक्षा का माध्यम होता है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अधर्म का अंत करने के लिए मर्यादित शक्ति आवश्यक होती है।

रक्षा मंत्री ने राम मंदिर को केवल वर्तमान की उपलब्धि नहीं, बल्कि भविष्य की नींव रखने वाला एक महान आख्यान बताया, एक ऐसा अध्याय, जो आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगा कि जब धर्म मार्गदर्शक होता है, तब शक्ति भी मर्यादा में रहती है।

INPUT- PRIYANSHU PANDEY

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