कमीशनखोरी के आरोपों में घिरे छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक (VC Vinay Pathak) की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. विनय कुमार पाठक की गिरफ्तारी पर रोक लगाने और एफआईआर दर्ज करने के मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विनय पाठक की याचिका को खारिज कर दिया है. यूपी एसटीएफ विनय पाठक को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है.
दरअसल, विनय पाठक ने अपने ऊपर लगे आरोपों के चलते गिरफ्तारी व एफआईआर रद्द करने को लेकर याचिका दायर की थी. वहीं कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रो. विनय पाठक की गिरफ्तारी पर तलवार लटक गई है माना जा रहा है कि किसी भी वक्त विनय पाठक की गिरफ्तारी हो सकती है.
न्यायमूर्ति राजेश कुमार सिंह व न्यायमूर्ति विवेक सिंह की खंडपीठ ने यह निर्णय पारित किया है. कोर्ट ने कहा है कि याची की ओर से ऐसा कोई तथ्य नहीं बताया जा सका जिसके आधार पर उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज किया जा सके. न्यायालय ने कहा कि चूंकि एफआईआर नहीं खारिज हो सकती लिहाजा याची को गिरफ्तारी से भी कोई राहत नहीं प्रदान की जा सकती. बता दें कि विनय पाठक की ओर से वरिष्ठ वकील LP मिश्र और सरकार की तरफ़ से वरिष्ठ वकील जयदीप माथुर व AAG विनोद शाही ने बहस की थी.
क्या है पूरा मामला
आगरा यूनिवर्सिटी में टेंडर के बदले कमीशनखोरी के मामले में फंसे प्रो.पाठक पर जबरन बंधक बनवाकर पैसे वसूलने का आरोप है. पीड़ित की माने तो इन्होंने अजय मिश्रा के साथ मिलकर कई अन्य बिलों को पास करने के नाम पर पीड़ित से रुपए वसूलते रहे. आरोप है कि अजय मिश्रा ने इंटरनेशनल बिजनेस फार्म्स अलवर राजस्थान के खाते में करीब 73 लाख रुपये भी ट्रांसफर करवाएं थे. पीड़ित के मुताबिक, अबतक उससे करीब डेढ़ करोड़ रुपए की कमीशन ली गई है. वहीं इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही है. इसके साथ प्रवर्तन निदेशालय की रडार पर भी प्रो. विनय पाठक हैं.
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