अमरनाथ यात्रा 2025, 3 जुलाई से शुरू होगी और 9 अगस्त को समाप्त होगी। यह यात्रा 38 दिनों तक चलेगी। यात्रा के लिए पंजीकरण 14 अप्रैल से शुरू हो चुके हैं। अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं को एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (SASB) और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह घोषणा की है कि पूरी यात्रा अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं होगी। यह निर्णय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर लिया गया है और इसका मुख्य उद्देश्य सुरक्षा को मजबूत करना है।
नो फ्लाई जोन करने का फैसला
इस बार यात्रा मार्ग को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अमरनाथ यात्रा के रूट पर कोई भी हेलीकॉप्टर, ड्रोन, पैराग्लाइडर, या हॉट एयर बैलून उड़ान नहीं भर सकेगा। यह आदेश 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। सुरक्षा एजेंसियों ने रिपोर्ट दी कि वायवीय माध्यमों से हमला या जासूसी की संभावना है, जिससे हेलीकॉप्टर प्रतिबंध की सिफारिश की गई।
प्रतिबंध सिर्फ आम लोगों के लिए
हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध केवल आम यात्रियों की हेलीकॉप्टर सेवा पर है। आपातकालीन सेवाएं जैसे कि मेडिकल, राहत और सैन्य उड़ानें, पहले की तरह चलती रहेंगी, लेकिन उनके लिए अलग SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) लागू किया जाएगा।
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घोड़े या पालकी से होगी यात्रा
इस प्रतिबंध के बाद श्रद्धालु केवल पैदल, घोड़े (पोनी), डांडी या पालकी के माध्यम से ही बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जा सकेंगे। बालटाल और पहलगाम – दोनों मार्गों पर यह नियम समान रूप से लागू होगा। श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर यात्रियों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं और ऑनलाइन पंजीकरण भी चालू है।
श्रद्धालुओं में भय और असमंजस
राजनीतिक हलकों में इस फैसले को लेकर बहस छिड़ गई है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि अमरनाथ यात्रा के लिए हेलीकॉप्टर सेवा बंद की गई हो। इससे श्रद्धालुओं में भय और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।’
सीसीटीवी कैमरे से निगरानी
इस बीच सरकार ने यात्रा मार्ग पर सुरक्षा और निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे, चेहरे की पहचान तकनीक और बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती का प्रबंध किया है। श्री अमरनाथ यात्रा देशभर से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। ऐसे में यह निर्णय कई लोगों के लिए असुविधा भरा हो सकता है, लेकिन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए यह कदम उठाया गया है।
Input- Ram Krishna Shukla