बीजेपी नेता की गृहमंत्री अमित शाह को चिट्ठी, जनसंख्या नियंत्रण के लिए ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ लागू करने की मांग की

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ लागू करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने अपनी चिट्ठी में गृहमंत्री अमित शाह से देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने की मांग की है.


अमित शाह के नाम अश्विनी उपाध्याय की चिट्टी….


माननीय गृहमंत्री जी,


1974 से हम लोग प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते हैं और पर्यावरण संरक्षण के लिए पिछले पांच वर्ष में विशेष प्रयास भी किया गया लेकिन आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मृदा प्रदूषण की समस्या कम नहीं हो रही है और इसका मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है.


वर्तमान समय में लगभग 122 करोड़ भारतीयों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक (विशेष रूप से बच्चे) बिना आधार के हैं तथा लगभग चार करोड़ बंगलादेशी और एक करोड़ रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं. इससे स्पष्ट है कि हमारे देश की कुल जनसंख्या 130 करोड़ नहीं बल्कि लगभग 152 करोड़ है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं. यदि संसाधनों की बात करें तो हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की लगभग 2% है, पीने योग्य पानी लगभग 4% है, और जनसंख्या दुनिया की 20% है. यदि चीन से तुलना करें तो हमारा क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसंख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है. चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं.


जल-जंगल और जमीन की समस्या, रोटी-कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु प्रदूषण,जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है.  टेम्पो-बस और रेल में भीड़, थाना-तहसील और जेल में भीड़ तथा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है. चोरी-डकैती और झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर शारीरिक-मानसिक अत्याचार तथा अलगाववाद कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है. चोर-लुटेरे, झपटमार, जहरखुरानी करने वालों, बलात्कारियों और भाड़े के हत्यारों पर सर्वे करने से पता चलता है कि 80% से अधिक अपराधी ऐसे हैं जिनके माँ-बाप ने “हम दो- हमारे दो” नियम का पालन नहीं किया. इन तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत की 50% से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट ही है.


अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 103वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 133वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 130वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 53वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता में 76वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 64वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 78वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 66वें स्थान पर, एनवायरनमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर तथा पर कैपिटा जीडीपी में 139वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में हम दुनिया में पहले स्थान पर हैं, जबकि हमारे पास कृषि योग्य भूमि दुनिया की 2 % तथा पीने योग्य पानी 4% है. प्रत्येक वर्ष हम लोग 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाते हैं और प्रदूषण नियंत्रण को लेकर पिछले 5 साल में बहुत से प्रयास भी किये गये हैं लेकिन जनसंख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इसका मूल कारण भी जनसंख्या विस्फोट है इसलिए चीन की तर्ज पर एक कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत अभियान का 100% सफल होना मुश्किल है.


संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार हम लोग प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाते हैं लेकिन महिलाओं पर हिंसा बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण भी जनसंख्या विस्फोट है. बेटी पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर करता है. कुछ लोग तो 3-4 बेटियां पैदा होने के बाद पहली पत्नी को छोड़ देते हैं और बेटे की चाह में दूसरा विवाह कर लेते हैं. बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटियों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें तथा बेटियां खूब पढ़ें और बेटियां भी आगे बढ़ें, इसके लिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी और कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है.


एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ अभियान तो सफल हो सकता है लेकिन विवाह के बाद बेटियों पर होने वाले अत्याचार को नहीं रोका जा सकता है. 3-4 बेटियां पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरीक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर है. बहुत से लोग बेटे की चाह में बहुविवाह भी करते हैं, बेटे-बेटियों में गैर-बराबरी बंद हो, बेटे-बेटियों को बराबर सम्मान मिले, बेटियां पढ़ें, बेटियां आगे बढ़ें और बेटियां सुरक्षित भी रहें, इसके लिए इसी संसद सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना चाहिए.


टैक्स देने वाले लोग हम दो-हमारे दो नियम का पालन करते हैं लेकिन मुफ्त में रोटी कपड़ा मकान लेने वाले जनसंख्या विस्फोट कर रहे हैं. हजारो साल पहले भगवान राम ने हम दो-हमारे दो नियम की शुरुआत किया था और आम जनता को संदेश देने के लिए लक्षमण, भरत और शत्रुघन सहित स्वयं “हम दो-हमारे दो” नियम का पालन किया था, जबकि उस समय जनसंख्या की समस्या इतनी खतरनाक नहीं थी. सभी राजनीतिक दल स्वीकार करते हैं कि जनसंख्या विस्फोट वर्तमान समय में बम विस्फोट से भी अधिक खतरनाक है. इसलिए चीन की तर्ज पर एक प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू किये बिना रामराज्य अर्थात स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, साक्षर भारत, संपन्न भारत, समृद्ध भारत, सबल भारत, सशक्त भारत, सुरक्षित भारत, समावेशी भारत, स्वावलंबी भारत, स्वाभिमानी भारत, संवेदनशील भारत तथा भ्रष्टाचार और अपराध-मुक्त भारत का निर्माण मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.


उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही अटल जी द्वारा बनाये गए 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष तक अथक परिश्रम और विस्तृत विचार-विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया. अब तक 125 बार संविधान में संशोधन हो चुका है, 3 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है, सैकड़ों नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसँख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया, जबकि “हम दो-हमारे दो” कानून से देश की 50% समस्याओं का समाधान हो जाएगा.


अटल जी द्वारा 20 फरवरी 2000 को बनाया गया संविधान समीक्षा आयोग भारत का सबसे प्रतिष्ठित आयोग है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया इसके अध्यक्ष तथा जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इसके सदस्य थे. भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और संविधान विशेषज्ञ केशव परासरन तथा सोली सोराब जी और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप इसके सदस्य थे. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा जी इसके सदस्य थे. सांसद सुमित्रा जी भी इस आयोग की सदस्य थी. वरिष्ठ पत्रकार सीआर ईरानी और अमेरिका में भारत के राजदूत रहे वरिष्ट नौकरशाह आबिद हुसैन भी इस आयोग के सदस्य थे.


वेंकटचलैया आयोग ने 2 वर्ष तक कड़ी मेहनत और सभी सम्बंधित पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी था. इसी आयोग की शिफारिस पर मनरेगा, राईट टू एजुकेशन, राईट टू इनफार्मेशन और राईट टू फूड जैसे महत्वपूर्ण कानून बनाये गए लेकिन जनसँख्या नियंत्रण कानून पर संसद में चर्चा भी नहीं हुयी. इस आयोग ने मौलिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भी महत्वपूर्ण सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया. वेंकटचलैया आयोग द्वारा चुनाव सुधार प्रशासनिक सुधार और न्यायिक सुधार के लिए दिए गए सुझाव भी आजतक पेंडिंग हैं.


यदि 2004 में भाजपा की सरकार बनती तो अटल जी द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग की शिफारिसों पर संसद में जरुर बहस होती और जनसँख्या नियंत्रण कानून भी बनाया जाता लेकिन भाजपा हार गयी और वोटबैंक राजनीति के कारण कांग्रेस ने वेंकटचलैया आयोग के सभी सुझावों पर संसद में चर्चा करने की बजाय चुनिंदा लोकलुभावन सुझावों को ही लागू किया, इसलिए युग दृष्टा अटल जी और करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का सम्मान करते हुए संविधान समीक्षा आयोग के सुझावों को संसद के पटल पर रखना चाहिए और आयोग के सभी सुझावों पर विशेषरूप से चुनाव सुधार, न्यायिक सुधार, प्रशासनिक सुधार और जनसँख्या नियंत्रण कानून पर विस्तृत चर्चा करना चाहिए.


लगभग सभी राजनीतिक दलों के नेता सांसद और विधायक, बुद्धिजीवी, समाजशास्त्री, पर्यावारणविद, शिक्षाविद, न्यायविद, विचारक और पत्रकार इस बात से सहमत हैं कि देश की 50% से ज्यादा समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है. जब तक 2 करोड़ बेघरों को घर दिया जायेगा तब तक 10 करोड़ बेघर और पैदा हो जायेंगे इसलिए एक नया कानून ड्राफ्ट करने में समय खराब करने की बजाय चीन के जनसँख्या नियंत्रण कानून में ही आवश्यक संशोधन कर उसे लोकसभा में पेश करना चाहिए. कानून मजबूत और प्रभावी होना चाहिये और जो व्यक्ति इस कानून का उल्लंघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद करना चाहिए. इसके साथ ही कानून तोड़ने वालों पर सरकारी नौकरी और चुनाव लड़ने तथा पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए. ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल हॉस्पिटल सहित अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिये और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए.


युग दृष्टा अटल जी के अधूरे सपने को साकार करना ही उन्हें सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी इसलिए उनके द्वारा बनाये गए वेंकटचलैया आयोग के सुझावों पर विस्तृत चर्चा करना चाहिए. एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून के बिना रामराज्य नामुमकिन है, इसलिए मंत्रालय को इसी संसद सत्र में संविधान संशोधन करने और जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए बिल पेश करना चाहिए. 11 सदस्यीय वेंकटचलैया आयोग (4 जज, 3 संविधान विशेषज्ञ, 2 सांसद, 1 पत्रकार और 1 नौकरशाह) ने 2 साल विस्तृत विचार-विमर्श करने के बाद संविधान संशोधन करने और जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था इससे स्पष्ट है कि यह कानून किसी भी अंतराष्ट्रीय संधि या मानवाधिकार के खिलाफ नहीं है. वेंकटचलैया आयोग के सुझाव को लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से 29 मई को जबाब मांगा है इससे भी स्पष्ट है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लघंन नहीं करता है.


धन्यवाद और आभार

अश्विनी उपाध्याय


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