देश में अभी दो दिन पहले ही 70वें गणतंत्र दिवस का समारोह मनाया गया। इस मौके पर पुलिस महकमें के कई जाबांज पुलिसकर्मियों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया। लेकिन पुलिस महकमे में तैनात एक पुलिसकर्मी ने अपराधियों से मुठभेड़ के दौरान अपनी आंखें गवां दी। डॉक्टरों ने उनकी जान तो बचा ली, लेकिन उन्हें वीरता के नाम पर एक पदक तक नहीं मिला है।
पुलिस विभाग की उपेक्षा से टूट गए हैं उपेंद्र कुमार मिश्रा
बता दें कि पूरा मामला बिहार की राजधानी पटना का है। एएसआई उपेन्द्र कुमार मिश्रा का कहना है कि राज्यपाल ने भी इसकी अनुशंसा की थी लेकिन फाइल आगे बढ़ाने के नाम पर उनसे सचिवालय में पैसे की मांग की जाती है। साथ ही उन्होंने कहा कि विभागीय उपेक्षा ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि वे गांधी मैदान थाना में टाइगर मोबाइल पर तैनात थे, उनके दिमाग में गोली लगी थी।
एएसआई उपेन्द्र कुमार मिश्रा बताते हैं कि उस दौरान एक गुप्त सूचना मिली थी कि बाईपास पर बहुत बड़ा अपराधी आ रहा है। वो बताते हैं कि वर्तमान समय में पुलिस लाइन में तैनात है और स्थाई पोस्टिंग चाहते हैं। एएसआई उपेन्द्र कुमार मिश्रा बताते हैं कि उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित नहीं किया गया, जबकि राज्यपाल कार्यालय की तरफ से सारे कागजात आ चुके हैं।
वो बताते हैं कि सचिवालय में उनकी फाइल आगे बढ़ाने के लिए क्लर्क पैसे मांगते हैं। एएसआई उपेन्द्र कुमार मिश्रा के रिटायर होने में अभी पांच साल बाकी है। वो चाहते हैं कि उन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जाए। साथ ही इलाज में आए खर्च का भुगतान समेत आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाए।
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