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संतकबीरनगर के निजी अस्पताल में जबरन मोतियाबिंद ऑपरेशन का प्रयास, पुलिस और लोगों ने बचाई बुजुर्ग की जान

संतकबीरनगर : आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठाने के लिए जिले के एक निजी अस्पताल द्वारा बड़ा खेल रचने का मामला सामने आया है। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने एक बुजुर्ग को जबरन मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने की कोशिश की। स्थानीय नागरिकों और पुलिस की सूझबूझ से समय रहते बुजुर्ग की जान बच गई और उन्हें सुरक्षित घर पहुंचाया गया। मामला खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र के सरैया बाईपास स्थित एक निजी आंख अस्पताल का है।

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जानिए पूरा मामला 

बताया जाता है कि पीड़ित बुजुर्ग बस्ती जनपद के बनकटी ब्लॉक क्षेत्र के गंगौरा बाबू गांव का निवासी है। बुजुर्ग को कुछ दलालों ने मोतियाबिंद की शिकायत बताकर एक दिन पहले बहला- फुसलाकर निजी अस्पताल (नूर आई हास्पिटल, खलीलाबाद) ले आए, जहां उनसे उनकी मर्जी के खिलाफ आंख के ऑपरेशन कराने की तैयारी की जा रही थी। जब बुजुर्ग को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने शोर मचाया और वहां से भागकर सरैया बाईपास पर पहुंचा। इतने में अस्पताल के दलाल और चिकित्सक व संबंधित स्टाफ के लोग भी वहां धमक गए और बुजुर्ग से जोर जबरदस्ती करने लगे। आसपास मौजूद लोगों ने इसकी तत्काल सूचना नवीन मंडी पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने बुजुर्ग को अस्पताल के चंगुल से मुक्त कराकर उनके घर पहुंचाया। इस घटना से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।

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आयुष्मान योजना का पैसा कमाने को निजी अस्पताल गरीब और अशिक्षितों को बना रहे निशान 

प्रत्यक्षदर्शी व पूर्व सभासद टीएन गुप्ता ने बताया कि सरैया बाईपास पर हम लोगों ने एक बुजुर्ग को कुछ लोगों से मनुहार करते देखा था। इस पर हम लोग वहां पहुंचे तो कुछ लोग खुद को एक निजी अस्पताल का डाक्टर बताकर बुजुर्ग से जोर जबरदस्ती कर रहे थे। इस पर हम लोगों ने बीच-बचाव करते हुए डायल 112 पुलिस को सूचना दी थी। बताया कि आयुष्मान भारत कार्ड पर पैसे कमाने के लिए ऐसे अस्पताल गरीब व अशिक्षित मरीजों को निशाना बना रहे हैं।इस घटना ने आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन और निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फिलहाल पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त जांच से ही इस पूरे खेल का सच सामने आएगा।

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आरोप सही मिला तो निजी अस्पताल का पंजीकरण किया जाएगा निरस्त: सीएमओ 

वहीं, इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) रामानुज कनौजिया ने बताया कि मामले की जानकारी मिली है और इसकी जांच कराई जाएगी। यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित अस्पताल का पंजीकरण निरस्त कर दिया जाएगा।

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