बरेली बवाल के आरोपी मौलाना तौकीर रजा गिरफ्तार, पथराव फायरिंग के बाद 39 उपद्रवी भी हिरासत में

उत्तर प्रदेश के (Uttar Pradesh) बरेली (Bareilly) में जुमा की नमाज के बाद कई स्थानों पर हुए बवाल के मामले में आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा (Maulana Tauqeer Raza) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। शनिवार सुबह करीब पांच बजे पुलिस ने उनका मेडिकल कराया और इसके बाद सुबह छह बजे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया। सुरक्षा कारणों से मौलाना को सीतापुर जेल में भेजा जा रहा है।प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों पर पथराव और फायरिंग की घटनाएं भी हुईं। इस मामले में पुलिस ने 1700 अज्ञात और कुछ नामजद लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। अब तक 39 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

पथराव और झड़पों से तनावपूर्ण हालात

शुक्रवार को नमाज के बाद खलील तिराहे से शुरू हुआ हंगामा धीरे-धीरे पूरे शहर में फैल गया। उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव और फायरिंग की, जिसके बाद हालात संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। पूरे घटनाक्रम के बाद प्रशासन ने बरेली में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात कर दी है। वही अब इंटरनेट सेवा बंद करने का आदेश भी जारी किया गया है।

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सीएम योगी का सख्त रुख  

बरेली बवाल के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देर रात कानून-व्यवस्था की समीक्षा की और अधिकारियों को सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि एक भी उपद्रवी को बख्शा नहीं जाएगा और ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि भविष्य में कोई भी अराजकता फैलाने से पहले सौ बार सोचे। योगी ने दशहरा पर्व का हवाला देते हुए कहा कि यह बुराई और आतंक के दहन का समय है और उपद्रवियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए जाने चाहिए। इस दौरान सीएम योगी ने यह भी कहा था की, मौलाना भूल गया कि राज्य में सत्ता किसकी है। कानून व्यवस्था बिगाड़ी तो उपद्रवियों को कुचल देंगे।

मौलाना का विवादों से पुराना नाता

मौलाना तौकीर रजा का नाम पहले भी कई विवादों से जुड़ा रहा है। वह 2010 में बरेली दंगे के आरोपी हैं और मामला अब भी कोर्ट में लंबित है। रजा ने नागरिकता कानून, ज्ञानवापी मसले और अन्य धार्मिक मुद्दों पर कई बार बयान देकर सुर्खियां बटोरीं। उन्होंने 2001 में अपनी पार्टी आईएमसी बनाई थी और समय-समय पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बीएसपी का समर्थन किया है।

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मौलाना का आला हजरत खानदान से जुड़ाव  

तौकीर रजा का संबंध बरेली के आला हजरत खानदान से है, जिसने सुन्नी बरेलवी मसलक की नींव रखी थी। इसी खानदान से जुड़े होने की वजह से वह बरेलवी मुसलमानों में खासा प्रभाव रखते हैं। हालांकि, उनके राजनीतिक और धार्मिक बयानों ने उन्हें लगातार विवादों में बनाए रखा है।

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