उत्तर प्रदेश के बरेली (bareilly) जनपद में धोखाधड़ी और जालसाजी के केस से नाम हटाने के बदले में प्रेम नगर थाने के सब इंस्पेक्टर (Sub Inspector) राम औतार ने 5 लाख रुपए की रिश्वत मांगी। यही नहीं, पूरे पैसे किश्तों में देने की बात भी तय हो गई। इसके बाद पीड़ित ने विजिलेंस से दारोगा की शिकायत कर दी। बुधवार की सुबह पीड़ित दारोगा के घर 50 हजार रुपए की पहली किस्त लेकर गया तो विजिलेंस की टीम ने रंगेहाथ धर दबोचा।
कैंट थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर
आरोपी दारोगा के खिलाफ कैंट थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। मिली जानकारी के अनुसार, किला थाने में बीते अप्रैल माह में हरीश चंद्र अग्रवाल ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि आरोपियों ने उनके और उनके मृत भाई गिरिश चंद्र के नाम से बैंक में एक अकाउंट खोला और उनके और उनके भाई के नाम से फर्जी इकरार नामा भी कर दिया। वहीं, हरीश को इस बात का पता चला कि दोनों भाइयों के नाम पर फेक अकाउंट चल रहा है।
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इसके बाद उन्होंने जानकारी की तो पता चला कि उससे दो लाख रुपये का लेनदेन भी किया जा चुका है। मामले में उन्होंने अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध प्राथमिकी लिखाई थी। इस मामले को एसएसपी के आदेश पर प्रेमनगर थाने में भेज दिया गया। वहां पर इसकी विवेचना रामऔतार को सौंपी गई। विवेचना में रामऔतार मुकदमे में दो लोगों रेखा और उमेश का नाम निकालने के एवज में पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी। इस पर दोनों ने विजिलेंस टीम से आरोपित दारोगा रामऔतार की शिकायत की। इसके बाद विजिलेंस ने ट्रैप सेट किया।
पीड़ित ने दारोगा से बातचीत की तो उसने नरियावल स्थित अपने घर पर बुलाया। उधर, टीम भी पीड़ित के साथ पहुंची। जैसे ही आरोपित दारोगा ने 50 हजार रुपये अपने हाथ में लिए तो टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
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