Bareilly Riots Case: बरेली के कोतवाली थाने में दर्ज केस क्राइम नंबर 489/2025 में आरोपी की जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी। इस मामले में Additional Advocate General अनूप त्रिवेदी ने अदालत में बेहद सख्त और प्रभावशाली पैरवी करते हुए आरोपी को राहत दिए जाने का विरोध किया। जिसके चलते याचिकर्ता को जमानत नहीं मिल सकी। मामले में आरोप है कि इत्तेफाक मिन्नत काउंसिल (INC) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा और उनके सहयोगी नादिम खान ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान में एकत्र होने और राज्य के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए उकसाया। पुलिस के अनुसार, 25.09.2025 को सूचना मिली थी कि दोनों नेता नमाज़ के बाद 26.09.2025 को लोगों को एक जगह पर जुटने की अपील कर रहे थे।
पुलिस पर हमला और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान
पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन 500 लोगों की भीड़ ने पत्थरबाजी, पेट्रोल बम फेंकने और फायरिंग की। कई पुलिसकर्मी घायल हुए और कई सरकारी व निजी वाहन क्षतिग्रस्त हुए। इस घटना के दौरान सात लोगों सहित याचिकाकर्ता को मौके से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपियों के बयान और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कुल 25 नामजद और 1700 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
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अदालत में दलीलें और विरोध
याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है और उन्हें उनके घर से गिरफ्तार किया गया था, जबकि पुलिस ने उनके मौके पर गिरफ्तारी का झूठा दावा किया। इसके विपरीत, Additional Advocate General अनूप त्रिवेदी ने जोर देकर कहा कि आरोपी ने धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने और भारत की एकता और अखंडता को चुनौती देने का कार्य किया। भीड़ द्वारा लगाए गए आपत्तिजनक नारे ‘गुस्ताख-ए-नबी की एक सज़ा सर तन से जुड़ा’ कानून और संविधान की अवहेलना को दर्शाते हैं।
कानूनी प्रावधान और सजा
अदालत ने कहा कि भले ही हर धर्म में नारों का इस्तेमाल होता है, लेकिन इस तरह का नारा हिंसा और अपराध को उकसाने वाला है। BNS की धाराओं 298, 299, 302 और 196 के तहत किसी धर्म, भगवान या नबी का अपमान करना और धार्मिक समूहों के बीच वैमनस्य फैलाना दंडनीय है। संविधान में प्रदत्त सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के बावजूद, इस तरह के अपराध कानून और सामाजिक शांति के खिलाफ हैं।
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मौलाना तौकीर रज़ा और नादिम खान का दंगाई रोल
अदालत ने रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि मौलाना तौकीर रज़ा और नादिम खान के उकसावे पर भीड़ ने इस्लामिया इंटर कॉलेज के मैदान में जमा होकर पत्थरबाजी और आगजनी की। याचिकाकर्ता और अन्य छह लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने गैरकानूनी सभा का हिस्सा बनकर पुलिसकर्मियों को चोट पहुँचाई और सार्वजनिक व निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया।
जमानत आवेदन अस्वीकार
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता को जमानत देने का कोई आधार नहीं है। इसलिए, याचिकाकर्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह के आपत्तिजनक और कानून की अवहेलना करने वाले कार्यों को गंभीरता से लिया जाएगा और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई होगी।
















































