योगी सरकार (Yogi Government) ने राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक दूरदर्शी और रणनीतिक निर्णय लिया है। अब प्रदेश को वर्ष 2030-31 से 1500 मेगावॉट बिजली सस्ती दर पर मिलेगी, जिससे यूपी ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ेगा।
25 वर्षों तक 5.38 रुपए प्रति यूनिट में बिजली
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार 1600 मेगावाट क्षमता की एक नई तापीय परियोजना से 1500 मेगावॉट बिजली 25 वर्षों तक खरीदेगी। सबसे कम दर (5.38 रुपए प्रति यूनिट) पर बिजली देने का प्रस्ताव देने वाली निजी कंपनी को इस परियोजना के लिए चुना गया है। इस डील से यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) को आगामी 25 वर्षों में लगभग 2958 करोड़ रुपए की बचत होगी।
2030-31 से होगी परियोजना शुरू
इस नई परियोजना से मिलने वाली बिजली की दर (Electricity Rate), मौजूदा सरकारी तापीय संयंत्रों जैसे कि जवाहरपुर, ओबरा, घाटमपुर और पनकी की तुलना में सस्ती होगी। जहां इन संयंत्रों से बिजली 6.6 से 9 रुपए प्रति यूनिट तक मिल रही है, वहीं इस नए करार के तहत बिजली की दर 6.10 रुपए प्रति यूनिट रहेगी, जो किफायती और स्थायी है।
DBFOO मॉडल के तहत निजी क्षेत्र की बड़ी भागीदारी
यह परियोजना DBFOO (Design, Build, Finance, Own, Operate) मॉडल के तहत विकसित की जाएगी। इस मॉडल में निजी कंपनी पूरी परियोजना का निर्माण, वित्तपोषण, संचालन और स्वामित्व खुद करती है। राज्य सरकार केवल कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करती है और बिजली खरीदती है।
ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के अनुसार
ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा के अनुसार, इस बिडिंग प्रक्रिया के तहत जुलाई 2024 में क्वालिफिकेशन आमंत्रित किए गए थे, जिसमें 7 कंपनियों ने भाग लिया। उनमें से 5 कंपनियों ने वित्तीय बोली में हिस्सा लिया और सबसे कम दर देने वाली कंपनी के साथ यह समझौता किया गया।
चुनी गई कंपनी ने टैरिफ को दो हिस्सों में बांटा:
- फिक्स्ड चार्ज: ₹3.727 प्रति यूनिट
- फ्यूल चार्ज: ₹1.656 प्रति यूनिट
- कुल टैरिफ: ₹5.38 प्रति यूनिट
यही दर अगले 25 वर्षों तक लागू रहेगी और उसी आधार पर पावर सप्लाई एग्रीमेंट (PSA) साइन किया जाएगा।
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महाराष्ट्र की तुलना में यूपी की डील सस्ती
मंत्री के अनुसार, यह वही कंपनी है जिसने पिछले साल महाराष्ट्र के साथ भी इसी तरह का करार किया था, लेकिन यूपी सरकार की यह डील उससे भी ज्यादा सस्ती पड़ी है। साथ ही, अब तक हुए पावर परचेज एग्रीमेंट्स की तुलना में भी यह अनुबंध अधिक किफायती है।
ऊर्जा संकट से निपटने की दीर्घकालिक योजना
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और राज्य विद्युत नियामक आयोग के अनुसार, उत्तर प्रदेश को वर्ष 2033-34 तक 10,795 मेगावाट अतिरिक्त तापीय ऊर्जा की जरूरत होगी। इसके अलावा राज्य ने 23,500 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लिए भी रोडमैप तैयार किया है। यह नई परियोजना इस दीर्घकालिक ऊर्जा मांग को पूरा करने की दिशा में एक अहम कदम है।
राज्य को मिलेगी स्थिर और विश्वसनीय बिजली
परियोजना के शुरू होने से यूपी को औद्योगिक विकास के लिए जरूरी बेस लोड बिजली उपलब्ध होगी। इससे घरेलू उपभोक्ताओं को भी सस्ती और स्थिर बिजली मिलेगी, जो राज्य के विकास के लिए जरूरी है।
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