BJP Foundation Day 2023: भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके कार्यकर्ताओं के लिए आज का दिन बेहद ख़ास है. आज ही के दिन 06 अप्रैल 1980 को इस पार्टी का गठन हुआ था और एक लंबे संघर्ष के बाद आज ये पार्टी देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. बीजेपी के अभी करीब 20 करोड़ सदस्य बताए जाते हैं. उसने 1980 में दो सांसदों से शुरुआत की थी और 2019 में उसके 303 सांसद, यानी करीब 150 गुना उसकी ताकत बढ़ी. लगभग चार दशक के सियासी सफर में पार्टी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. ऐसे में आइये जानते हैं अटल बिहारी वाजपेयी से शुरू हुआ सियासी सफर मोदी तक पहुंचते-पहुंचते कैसे बढ़ा ली इतनी ताकत.
कभी लोकसभा चुनाव में मात्र 2 सीटें जीतने वाली बीजेपी आज पूरे देश की कमान संभाल रही है. बीजेपी के गठन के बाद से इसके नींव को मजबूत करने में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी का बहुत बड़ा योगदान रहा है. 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. 1977 में आपातकाल के दौरान जनसंघ में कई दलों का विलय हुआ और जनता पार्टी का उदय हुआ. जनता पार्टी ने सरकार भी बनाई, हालांकि ज्यादा दिनों तक सरकार टिक नहीं पाई और कांग्रेस ने वापसी कर ली.
इसके बाद जनता दल में फूट पड़ गई और बीजेपी का जन्म हुआ. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी का पहला अध्यक्ष बनाया गया. पार्टी को इस स्थिति तक पहुंचाने में वाजपेयी के अलावा वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का भी अहम योगदान है. पार्टी के गठन के 4 साल बाद यानी 1984 के चुनाव में महज 2 सदस्य ही संसद पहुंच सके थे. यहाँ तक कि वाजपेयी खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए थे, इसका कांग्रेसियों ने पार्टी का जमकर मजाक उड़ाया था.
बीजेपी को बनाने के बाद देश के पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने एक घोषणा की और उस घोषणा में कहा था कि, ‘मैं भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा. वाजपेयी की ये भविष्यवाणी सच साबित हुई और साल 2014 में ऐसा कमल खिला कि साल 2019 में रिकॉर्ड 303 सीटों के साथ बीजेपी दूसरी बार सत्ता में काबिज है.
ऐसा कहा जाता है जब अटल बिहारी वाजपेयी की पीठ पार्टी को अधिक मजबूती नहीं दे पा रही थी, तब वर्ष 1986 में पार्टी की कमान लालकृष्ण अडवाणी ने अपने हाथों में ले ली. जिसके बाद 1987 में तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहेब देवरस के साथ अटल-आडवाणी की बैठक हुई. इस बैठक में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को हराने के लिए गहरा मंथन किया गया.
ऐसा कहा जाता है कि तब से ही बीजेपी ने राम मंदिर का रास्ता चुना. जिसके बाद 1989 में बीजेपी ने वीएचपी (विश्व हिन्दू परिषद) के राम मंदिर आंदोलन को औपचारिक समर्थन दे दिया और राम मंदिर के मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू हो गया. इस आंदोलन का बीजेपी को बहुत फायदा हुआ और 1989 के आम चुनाव में बीजेपी ने अकेले दम पर 85 सीटें हासिल कर ली.
इसके बाद बीजेपी की पकड़ देश की राजनीति पर बहुत मजबूत हो गई. 1996 में बीजेपी ने आम चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी. जिस वजह से बीजेपी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया. जो कि महज 13 दिन ही चल पाई. इसके बाद साल 2014 के आम चुनावों में बीजेपी ने अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए लोकसभा की 282 सीटों पर जीत का परचम फहराया. जबकि इसके नेतृत्व वाले राजग (NDA) को लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 336 सीटों पर जीत प्राप्त हुई. जिसके बाद बीजेपी के संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के 15वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. देश की सियासत में साल 1984 के बाद ऐसा पहली बार था, जब भारतीय संसद में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिला हो.
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