Hanuman Jayanti 2023: आज है हनुमान जयंती, जानिए महत्‍व, पूजाविधि और पौराणिक कथा

Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2023) के दिन मनाई जाती है. इस बार ये पूर्णिमा 6 अप्रैल को पड़ रही है. ऐसे में भगवान हनुमान का जन्मदिन इसी दिन मनाया जाएगा. सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन बेहद खास होता है. इस दिन बजरंगबली के भक्त व्रत रखते हैं और विधि विधान श्रीराम भक्त हनुमान की पूजा करते हैं. हनुमान जयंती का पर्व पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों का तांता लग जाता है.

कहा जाता है कि धरती पर कलयुग में हनुमानजी ही एक मात्र सशरीर देवता हैं. रामभक्‍त हनुमान की पूजा में भक्ति के समावेश के साथ कुछ विशेष बातों का भी ध्‍यान रखना बेहद जरूरी है. धर्मशास्त्रियों के अनुसार सनातन धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्‍त हनुमान को संकट मोचक माना गया है. मान्‍यता है कि श्री हनुमान का नाम लेते ही सारे संकट दूर हो जाते हैं और भक्‍त को किसी बात का भय नहीं सताता है. उनके नाम मात्र से आसुरी शक्तियां गायब हो जाती हैं. हनुमान जी के जन्‍मोत्‍सव को देश भर में हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है.

इस तरह मनाएं हनुमान जयंती
हनुमान जयंती के दिन उपवास रखने वाले एक दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, साथ ही कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है. इस दिन भक्तजन मंदिरों में अपने आराध्य देव के दर्शन करने और उनका आशीष लेने जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार, हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हें जनेऊ भी पहनाया जाता है और इनकी मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का व्रक भी चढ़ाते हैं. कहा जाता है राम की लंबी उम्र के लिए हनुमानजी अपने शरीर पर सिंदूर लगा लिया था और इसी कारण उन्हें भक्तों का सिंदूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है. संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर हनुमानजी के चमत्कारी मंत्रों का भी जाप किया जाए तो यह बहुत फलदाई होता है. हनुमान जयंती पर हनुमान चालिसा और रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड पाठ को पढ़ना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है.

धरती पर सशरीर हैं बजरंगबली
राम नाम की महिमा का वर्णन और उनके काम के लिए हनुमानजी आज भी पृथ्वी पर सशरीर विराजमान हैं, इस बात का प्रमाण महाभारत में मिलता है. हनुमानजी कलियुग के अंत तक धर्म की रक्षा के लिए पृथ्वी पर रहेंगे. बजरंगबली चिरायु हैं, भगवान राम ने इन्हें वरदान दिया है. कहते हैं धरती पर जहां भी रामकथा का आयोजन होता है, वहां हनुमानजी किसी ना किसी रूप में मौजूद होते हैं इसलिए रामजी की पूजा में हनुमान जी की पूजा जरूर होती है.

हनुमानजी की जन्म कथा
समुद्रमंथन के बाद भगवान शिव ने भगवान विष्णु का मोहिनी रूप देखने की इच्छा प्रकट की थी. जो उन्होनें समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों को दिखाया था. उनकी इच्छा का पालन करते हुए भगवान बिष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिया. भगवान बिष्णु का आकर्षक रूप देखकर शिवजी कामातुर हो गए और उन्होंने अपना वीर्यपात कर दिया. पवनदेव ने शिवजी के वीर्य को वानर राजा केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया. इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप हनुमान का जन्म हुआ. उन्हें शिव का 11वां रूद्र अवतार माना जाता है.

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