हरियाणा विधानसभा चुनावों में ऐतिहासिक सफलता का स्वाद चखने के बाद भारतीय जनता पार्टी में एक नया उत्साह आ गया है क्योंकि हरियाणा से भाजपा को विपक्ष के झूठ पर आधरित नैरेटिव ध्वस्त करने का मंत्र मिल गया है। अब झारखंड, महाराष्ट्र राज्यों सहित कई राज्यों की खाली पड़ी विधानसभा तथा दो लोकसभा सीटों पर उपचुनावों की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। इन सभी चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाला राजग गठबंधन अपनी तैयारी में काफी आगे निकल चुका है, गठबंधन ने अपने सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा भी कर लिया है और उम्मीदवारों के चयन का काम पूरा करते हुए अपने नारे भी सेट कर लिये हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनावों के परिणामों से स्पष्ट है कि लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा का जो कोर मतदाता किसी कारणवश उधर चला गया था अब वह फिर वापस आ रहा है क्योंकि उसे अपनी गलतियों का एहसास हो रहा है। लोकसभा चुनावों में संविधान और आरक्षण सहित जातिवार जनगणना का झूठा नैरेटिव चलाने के कारण ओबीसी समाज भाजपा से छिटका जिसके कारण उसका 400 पार का नारा धरातल पर नहीं उतर सका था। अब भपजा निराशा के उस भाव से उबर चुकी है।
हरियाणा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे “हिंदू बटेंगे तो कटेंगे“ ने हिन्दू जनमानस को नयी चेतना दी थी ओैर अब यही नारा महाराष्ट्र की धरती तक पहुंच गया हे। साथ ही हरियाणा में ओबीसी समाज ने जिस प्रकार भाजपा का साथ दिया है उसे ध्यान में रखते हुए भाजपा अब अन्य राज्यों में भी ओबीसी समाज को साधने के लिए हर उपाय करने जा रही है। हरियाणा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मंत्रिमंडल की पहली बैठक में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के ज्यादा जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ देने के लिए प्रदेश सरकार एससी एसटी वर्ग में उपवर्गीकरण करने जा रही है। हरियाणा सरकार का यह कदम सर्वोच्च न्यायालय के कोटा में कोटा के ऐतिहासिक निर्णय की भावना के अनुरूप है। अभी तक वंचित एससी-एसटी के लिए 10 -10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है।
हरियाणा में विधानसभा चुनावों में भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साथ मिलकर कार्य किया था जिसका प्रभाव भी स्पष्ट दिखाई दिया, वहां भाजपा के पक्ष में वातावरण बनाने के लिए 16 हजार से अधिक छोटी जनसभाएं और संगोष्ठियां भी आयेजित करी गई थीं। अब संघ भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र, झारखंड और उपचुनावों के लिए भी वही कार्य करने जा रहा है।
महाराष्ट्र विधनसभा चुनाव जीतने के लिए जहां बीजेपी ने कमर कस ली है वहीं संघ व विश्व हिंदू परिषद सहित समस्त हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतर आए हैं। बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित विश्व के अनेक देशों में हिंदुओं व सनातन धर्म के आस्था के केंद्रों पर जिस प्रकार हमले किये जा रहे हैं तथा भारत का विपक्ष जिस प्रकार सनातन हिंदू के खिलाफ जहर उगल रहा है उससे उत्पन्न संकट को देखते हुए अब सभी हिंदू संगठनों को यह समझ में आ गया है कि सत्ता कितनी अनिवार्य है। अतः अब महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता अभी से ही लोगों के बीच जाकर हिंदुओं के कई ज्वलंत मुद्दों पर वोट मांग रहे हैं।बीजेपी के लिए केवल संघ ही नहीं अपितु उसके सभी समवैचारिक संगठन सक्रिय हो गये हैं। संघ के कार्यकर्ता जनमत तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर संपर्क कार्यक्रम भी करेंगे ऐसा सुनने में आ रहा है।
विश्व हिंदू परिषद पूरे महाराष्ट्र में साधु संतों के सम्मेलन करवाने की योजना बना रही है । मंदिर मठों के प्रतिनिधित्व करने वाले साधु -संत हिंदुत्व, सुशासन, विकास, लोक कल्याण, राष्ट्रीय हित के विषयों के विषय में जनमानस को बतायेंगे। पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या एक बड़ा विषय बनकर उभर रहा है।लव जिहाद, धर्मांतरण आदि को रोकने के लिए वहां पर पहले भी कई रैलियां हो चुकी हैं। इसके साथ ही साधु- संत वोट जिहाद के प्रति भी हिंदू जनमानस को जगाने के लिए काम कर रहे हैं और वोट जिहाद के खिलाफ 100 प्रतिशत मतदान करने की बात कर रहे हैं।संतों का कहना है कि जन-जन तक यह बात पहुंचाई जाएगी कि जो हिंदू हित की बात करेगा उसे ही सत्ता पर लाया जायेगा। नागपुर और अकोला में संत सम्मेलन आयेजित किये जा चुके हैं।
विहिप महाराष्ट्र क्षेत्र प्रमुख गोविंद शेडे का कहना है कि वोट जिहाद एक गहरी चिंता का विषय है। अनेक प्रकार के जिहादी चल रहे हैं जमीन, लव, जल के बाद अब वोट जिहाद भी प्रारंभ हो चुका है। कितने जिहाद होने वाले हैं पता नहीं। संत समाज का कहना है कि लोकसभा चुनाव में जो हुआ वह वोट जिहाद का ही परिणाम था किंतु अब वोट जिहाद का हिसाब उसी तरह करा जायेगा। वोट का प्रतिशत बढ़ाया जाए। हमारा देश, हमारे संस्कार लेकर बढ़े इसलिए हमें अपना मत प्रतिशत बढ़ाना है। विहिप का कहना है कि अब आने वाले सभी निर्वाचनों में ऐसे लोग ही चुनकर आएं जो नीति निर्धारण हिंदू धर्म, हिंदी, संस्कृत, हिंदी परम्परा, हिंदू रीति रिवाज का संरक्षण करने वाले हों। महाराष्ट्र की राजनीति में हिंदुत्व एक बड़ा फैक्टर रहा है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं जैसे गाय को राज्यमाता का दर्जा दिया जाना।
भाजपा के नये विजय मन्त्र मंत्र के चलते महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी की मांग बहुत अधिक है, वहां उनके नारे व चित्र लगे पोस्टर दीवारों पर चिपक गये हैं। मुंबई की सड़कों पर लगे बैनर जिन पर,“ बंटेंगे तो कटेंगे“ लिखा है चर्चा में हैं । माना जा रहा हे कि योगी जी के इसी नारे से हरियाणा की राजनीतिक हवा बदल गई।अब इसे महाराष्ट्र में भी अपनाया जाने वाला है। वैसे भी योगी जी की विजय का स्ट्राइक रेट बहुत अच्छा है और हर राज्य योगी जैसे मुख्यमंत्री की मांग कर रहा है।
भाजपा ओबीसी व वनवासी समाज को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी क्योंकि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से चुनाव दर चुनाव ओबीसी समाज भाजपा का साथ देता आ रहा है। सबसे अधिक ओबीसी मुख्यमंत्री भाजपा ने ही बनाये हैं। सबसे अधिक ओबीसी विधायक व सांसद बीजेपी से ही जीतकर आ रहे हैं। भाजपा ओबीसी समाज के लिए कुछ बड़े निर्णय ले सकती है क्योंकि महाराष्ट्र में भी ओबीसी समाज की एक बड़ी भूमिका है।उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनावों में भी हिंदुत्व के साथ जातियों को भी साधने पर काम किया जा रहा है।
भाजपा के रणनीतिकार अब विशिष्ट रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। विगत चुनावों में भाजपा ने “बंटेंगे तो कटेंगे” का नारा दिया और सफलता पाई। इसी नारे के बल पर जम्मू के हिंदू भी भाजपा के पक्ष में गोलबंद दिखे। अब यह नारा पूरे भारत में घूमने के लिए तैयार हो रहा है। ओबीसी समाज को आकर्षित करने के लिए सरकार बड़े कदम उठाने जा रही है जिसमें क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने से लेकर अन्य कई योजनाओं का विस्तार करनेपर विचार कर रही है। इसीलिए कहा जा रहा है कि भाजपा ने विपक्ष के नैरेटिव को धराशायी करने का मंत्र खोज लिया है।
( मृत्युंजय दीक्षित, लेखक राजनीतिक जानकार व स्तंभकार हैं.)
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