UP में मदरसों का सर्वे कराने पर भड़कीं मायावती, बोलीं- मुस्लिमों का दमन कर रही भाजपा सरकार

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) द्वारा मदरसों का सर्वे (Survey of Madrasas) कराने के फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है। एआईएमआईएम चीफ ओवैसी के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने प्रदेश सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए है।

बसपा चीफ मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि मुस्लिम समाज के शोषित, उपेक्षित व दंगा-पीड़ित होने आदि की शिकायत कांग्रेस के ज़माने में आम रही है, फिर भी बीजेपी द्वारा ’तुष्टीकरण’ के नाम पर संकीर्ण राजनीति करके सत्ता में आ जाने के बाद अब इनके दमन व अतंकित करने (Muslim teasing) का खेल अनवरत जारी है, जो अति-दुःखद व निन्दनीय है।

मायावती ने कहा कि इसी क्रम में अब यूपी में मदरसों पर भाजपा सरकार की टेढ़ी नजर है। मदरसा सर्वे के नाम पर कौम के चन्दे पर चलने वाले निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप का प्रयास अनुचित जबकि सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों व सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि मदरसे संविधान के अनुच्छेद 30 के अनुसार हैं तो उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया है? यह कोई सर्वेक्षण नहीं है, बल्कि एक छोटा एनआरसी है। कुछ मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के अधीन हैं। आप क्यों शक कर रहे हैं मदरसों पर। राज्य सरकार हमारे अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। वे मुसलमानों को परेशान करना चाहते हैं। आपका मकसद है इस्लाम को बदनाम करना।

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दरअसल, योगी सरकार के मदरसों के सर्वे आदेश में एक फॉर्मेट दिया गया है। सभी जिलों के सर्वे टीम में एसडीएम, बीएसए और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल है। इन अधिकारियों को गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के संचालन करने वाली संस्था, मदरसे की स्थापना की तारीख, उसका स्टेटस यानी निजी या किराए के घर में चल रहा है।

मदरसे में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा, पानी, फर्नीचर, बिजली, शौचालय के इंतजाम की जानकारी, छात्र-छात्राओं की कुल संख्या, शिक्षकों की संख्या, वहां पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत, अगर छात्र किसी अन्य जगह भी पढ़ रहे हैं तो उसकी जानकारी और अगर सरकारी समूह या संस्था से मदरसों की संबद्धता है तो उसका विवरण देने को कहा गया है।

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