बदायूं में नीलकंठ महादेव मंदिर तोड़कर जामा मस्जिद बनाने का दावा, कोर्ट ने मंजूर की याचिका, 15 सितंबर को होगी सुनवाई

उत्तर प्रदेश के बदायूं (Budaun) जनपद की जामा मस्जिद (Jama Masjid) में नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Temple) होने का दावा किया गया है। इसको लेकर बदायूं की सिविल कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शुक्रवार को वाद चलाने की अनुमति दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होनी है।

मुगल शासक इल्तुतमिश ने ध्वस्त कराया था मंदिर

जानकारी के अनुसार, बीते 8 अगस्त को दायर की गई याचिका में दावा किया गया है कि बदायूं की जामा मस्जिद परिसर हकीकत में हिंदू राजा महीपाल का किला था। मस्जिद की मौजूदा संरचना नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई है।

Also Read: लखनऊ: इस्लाम छोड़कर राजवीर बने सलीम हैदर की हिंदू लड़कियों से अपील, मुस्लिम लड़कों के झांसे में न आएं, बर्बाद हो जाएगी जिंदगी

याचिका दायर करने वाले हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने बताया कि 1175 में पाल वंशीय राजपूत राजा अजयपाल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुगल शासक इल्तुतमिश ने इसको ध्वस्त करके जामिया मस्जिद बना दिया।

मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को नोटिस

मुकेश पटेल के वकील वेद प्रकाश साहू ने बताया कि गवर्नमेंट का गजेटियर साल 1986 में प्रकाशित हुआ था। इस गजेटियर में इल्तुमिश ने मंदिर की प्रकृति बदलने का जिक्र किया है। वहीं, कोर्ट ने जामा मस्जिद के इंतेजामिया समिति, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड, उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग, केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, बदायूं जिला मजिस्ट्रेट और राज्य के प्रमुख सचिव को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

Also Read: UP की 17 पिछड़ी जातियों को SC का दर्जा दिलाएगी योगी सरकार, मानसून सत्र में प्रस्ताव पास कराने की तैयारी

मस्जिद की इंतजामिया कमेटी को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है। याचिका में पहले पक्षकार स्वयं भगवान नीलकंठ महादेव महाराज बनाए गए हैं। जबकि इनके अलावा अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल निवासी गांव भरकुइयां थाना सिविल लाइंस, वकील अरविंद परमार, ज्ञान प्रकाश, डॉक्टर अनुराग शर्मा व उमेश चंद्र शर्मा ने कोर्ट में दावा किया है।

15 सितंबर को होगी याचिका पर सुनवाई

वहीं, इंतजामिया कमेटी के सदस्य असरार अहमद मुस्लिम पक्ष के वकील हैं। उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद शम्सी लगभग 840 साल पुरानी है। मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था जबकि, दूसरे पक्ष ने कहा है कि इसका निर्माण मुगल आक्रांता ने करवाया है। कोई भी ऐसा गजेटियर नहीं है, जिसमें यह मेंशन हो कि यहां मंदिर था। मुस्लिम पक्ष की इबादतगाह है। यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है। न ही उन लोगों ने मंदिर के अस्तित्व का कोई कागज दाखिल किया है। कोर्ट ने केस में 15 सितंबर तारीख लगा दी है।

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )