बीते बुधवार को पतंजलि परिधान स्टोर का उद्घाटन करने आए योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा कि उनकी मांग पर केंद्र सरकार जल्द ही नया भारतीय शिक्षा बोर्ड बनाने जा रहा है. इसके अंतर्गत जो पाठ्यक्रम तैयार होगा. उसमें आधुनिक विषयों के साथ-साथ वेद, दर्शन, उपनिषद, व्याकरण, प्राचीन आध्यात्म का समन्वय होगा. बाबा ने कहा कि भारत से अंग्रेज चले गए लेकिन मैकाले की शिक्षा पद्धति आज भी पूर्व की भांति चल रही है. देश स्वतंत्र तभी कहलाएगा, जब देश में अपना तंत्र, शिक्षा, अपनी चिकित्सा, अपनी भाषा, अपनी परंपरा, अपना इतिहास, अपना सम्मान और स्वाभिमान होगा. इसलिए कम से कम शिक्षा में तो पूरी स्वाधीनता आनी चाहिए. पीएम मोदी, अमित शाह, प्रकाश जावड़ेकर ने मुझे आश्वासन दिया है कि कि आगामी चुनावों से पहले ही यह बोर्ड बन जाएगा. राजनीतिक सवालों से बचते हुए रामदेव ने प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीति में उतरने पर बस इतना कहा कि यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है.
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अब राम मंदिर बन जाना चाहिए
बाबा रामदेव ने कहा कि पतंजलि को जो उत्तरदायित्व मिलेगा, उसे ठीक से निभाएंगे. हम फकीरी तो मोदी कर रहे वजीरी के जरिये बाबा ने कहा कि फकीर और वजीर के उत्तरदायित्व में अंतर होता है. बाबा ने कहा हम लोग तो अपनी फकीरी में कमी नहीं आने देंगे और मोदी अपनी वजीरी में कायम रहेंगे तो मुझे लगता है कि देश का भला ही होगा. फकीरों से ही देश बना भी है, बचा भी है. बाबा ने कहा कि राम मंदिर के लेकर बातें तो बहुत हो चुकीं, अब इसे बन जाना चाहिए. इसी के साथ कहा कि काले धन को लेकर हमारी आवाज पर न अंकुश लगा है और ना ही कुंद हुई है. इस समय राजनीतिक असहिष्णुता शिखर पर है.
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हनुमान जी कि जाति पर बोले
बाबा रामदेव ने कहा इस समय कुछ भी बोलना सिर फुटव्वल कराना है. साथ ही कहा कि हन्यमान जी के जन्म के समय जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था थी ही नहीं. कर्म के आधार पर वर्ण व्यवस्था थी. इस पर विवाद करना ठीक नहीं. मुझे पेंशन नहीं चाहिए, लेकिन असहाय सन्यासियों को पेंशन मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 2 से ज्यादा जो बच्चे जो पैदा करे. मतदान व चुनाव लड़ने का उसका अधिकार खत्म कर देना चाहिए. उसको सरकारी स्कूल-अस्पताल की सुविधाओं के साथ सरकारी नौकरी नहीं मिलनी चाहिए. इससे जनसंख्या अपने आप नियंत्रित होने लगेगी.
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पतंजलि स्टोर में मिलेंगे पारंपरिक परिधान
बाबा रामदेव ने कहा कि जींस का नाम विदेशी है, लेकिन डेनिम का सबसे ज्यादा उत्पाद देश में ही है. कपड़ा हमारा, पहनने वाले, बेचने वाले, खरीदने वाले सब हमारे लोग हैं तो यह सामान विदेशी ब्रांड से क्यों बिके. पतंजलि की जींस को ज्यादा नहीं फाड़ा गया है. आधुनिक फैशन का समावेश करते हुए अपने पारंपरिक परिधान को पतंजलि परिधान स्टोर में रखा गया है. जिसमें 35 हजार से ज्यादा कलेक्शन हैं. जो दूल्हा, दुल्हन, युवा, बच्चे आदि के लिए हैं. हमने देश के स्वभाव को ध्यान में रखकर एक ही छत के नीचे परिधान लांच किए हैं. परिधान के क्षेत्र में भी स्वदेशी का डंका बजाएंगे. यहां अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए यहां शेरवानी भी मिलेगी.
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