केंद्र सरकार ने गुरुवार को घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने के लिए नए फॉर्मूले को मंजूरी दी है। इसके साथ ही पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) और कॉम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) की कीमतों की अधिकतम सीमा भी तय कर दी। ऐसे में सीएनजी व पीएनजी के दाम 10 फीसदी तक घट जाएंगे। धानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में प्राकृतिक गैस पर किरीट पारिख समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी गई।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी जानकारी
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि घरेलू नेचुरल गैस की कीमत को अब अंतरराष्ट्रीय हब गैस की जगह इंपोर्टेड क्रूड के साथ लिंक कर दिया गया है। गैस की कीमत अब भारतीय क्रूड बास्केट के अंतरराष्ट्रीय दाम का 10% होगी। ये हर महीने तय किया जाएगा।
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अनुराग ठाकुर ने कहा कि नया फॉर्मूला कंज्यूमर्स और प्रोड्यूसर्स दोनों के हितों के बीच बैलेंस बनाएगा। अभी, गैस की कीमतें न्यू डोमेस्टिक गैस प्राइसिंग गाइडलाइन्स, 2014 के अनुसार तय की जाती है। कीमतों में बदलाव 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को होता है।
अब हर महीने तय होंगी कीमतें
नए फॉर्मूले के तहत हर महीने गैस की कीमत तय की जाएगी। पुराने फॉर्मूले के तहत हर 6 महीने में गैस की कीमत तय की जाती रही। वहीं, अब घरेलू नैचुरल गैस की कीमत के लिए इंडियन क्रूड बास्केट की पिछले एक महीने की कीमत को आधार बनाया जाएगा।
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पुराने फॉर्मूले के तहत दुनिया के चारों गैस ट्रेडिंग हब (हेनरी हब, अलबेना, नेशनल बैलेसिंग प्वाइंटर (UK) और रूसी गैस) के पिछले एक साल की कीमत (वॉल्यूम वेटेड प्राइस) का औसत निकाला जाता है और फिर इसे लागू किया जाता है।
मिलेंगे ये फायदे
- नई पॉलिसी से गैस प्रोड्यूसर को बाजार में उतार चढ़ाव से नुकसान नहीं होगा। कंज्यूमर को भी फायदा मिलेगा।
- नए फॉर्मूले के तहत गैस की कीमत तय होने से फर्टिलाइजर और पावर सेक्टर को भी सस्ती गैस मिल सकेगी।
- एनर्जी सेक्टर को सस्ती गैस मिलेगी। इसके साथ घरेलू गैस प्रोड्यूसर देश को ज्यादा उत्पादन करने के लिए बढ़ावा मिलेगा।
- सरकार का टारगेट 2030 तक देश में नेचुरल गैस की हिस्सेदारी मौजूदा 6.5% से बढ़ाकर 15% करना है।
- इस कदम से एमिशन रिडक्शन और नेट ‘जीरो’ के सरकार के टारगेट को हासिल करने में मदद मिलेगी।
जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश
पारिख समिति ने गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की भी सिफारिश की है। इसमें गैस पर सामान्य कर लगाने की सिफारिश की गई है, जो तीन फीसदी से लेकर 24 फीसदी तक हो सकता है। इससे गैस बाजार को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
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