Chitragupta Puja 2021: आज है कलम-दवात और बही-खातों का पूजन, पढ़िए यमराज के मुनीम की कथा

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन जहां भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. वहीं, दूसरी ओर चित्रगु्प्त पूजा (Chitragupta Puja 2021) भी की जाती है. इस साल 6 नवंबर, शनिवार के दिन चित्रगुप्त की पूजा की जाएगी. इस दिन कलम और दवात की पूजा का भी विधान है. इतना ही नहीं, इस दिन बहीखातों की पूजा भी की जाती है. चित्रगुप्त भगवान को यमराज का सहयोगी माना जाता है. मान्यता है कि चित्रगुप्त सभी प्राणियों के अच्छे-बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं. वहीं, कायस्थ लोगों के ईस्ट देवता के रूप में भी चित्रगुप्त भगवान को पूजा जाता है. आइए जानते हैं चित्रगुप्त की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में ये बातें.

चित्रगुप्त पूजा 2021 करने की विधि (Chitragupta Puja Vidhi 2021)

चित्रगुप्त महाराज की पूजा विधि के अंतर्गत ऐसी मान्यता है कि चित्रगुप्त पूजा के दिन सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ऊं चित्रगुप्ताय नमः लिखकर पूजन स्थल के पास रखना चाहिए. इसके अलावा ऊं नम: शिवाय और लक्ष्‍मी माता जी सदा सहाय भी लिख सकते हैं. फिर इस पर स्‍वास्‍तिक बनाकर बुद्धि, विद्या और लेखन का अशीर्वाद मांगें.

चित्रगुप्त पूजा की व्रत कथा (Chitragupta Puja Vrat Katha 2021)

सौदास नाम का एक राजा था. वह एक अन्यायी और अत्याचारी राजा था और उसके नाम पर कोई अच्छा काम नहीं था. एक दिन जब वह अपने राज्य में भटक रहा था तो उसका सामना एक ऐसे ब्राह्मण से हुआ जो पूजा कर रहा था. उनकी जिज्ञासा जगी और उन्होंने पूछा कि वह किसकी पूजा कर रहे हैं. ब्राह्मण ने उत्तर दिया कि आज कार्तिक शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन है और इसलिए मैं यमराज (मृत्यु और धर्म के देवता) और चित्रगुप्त (उनके मुनीम) की पूजा कर रहा हूं, उनकी पूजा नरक से मुक्ति प्रदान कराने वाली है और आपके पापों को कम करती है. यह सुनकर सौदास ने भी अनुष्ठानों का पालन किया और पूजा की.

चित्रगुप्त पूजा का महत्व (Chitragupta Importance)

भगवान चित्रगुप्त को देवलोक धर्म अधिकारी के नाम से भी जाना जाता है. चित्रगुप्त का संबंध लेखन कार्य से होने के कारण इस दिन कलम और दवात की पूजा भी की जाती है. भगवान चित्रगुप्त का वर्णन पद्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्मपुराण, यमसंहिता व याज्ञवलक्य स्मृति सहित कई धार्मिक ग्रंथों में है. माना जाता है कि चित्रगुप्त जी की उत्पत्ति सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की काया से हुई है. वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार चित्रगुप्त की उत्पत्ति समुद्र मंथन से बताई जाती है. समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए थे.  जिसमें इनकी उत्पत्ति लक्ष्मी जी साथ हुई.

Also Read: Bhai Dooj: भाईयों की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए बहनें जरूर करें ये उपाय

( देश और दुनिया की खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. )