विकास दुबे, जिसकी वजह से कानपुर में आठ पुलिस के जवानों ने अपनी जान गंवाई है, वो अभी भी पुलिस गिरफ्त से फरार है। जिसकी गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस के जवान दिन रात एक किए हुए है। हाल ही में ऐसा खुलासा हुआ था, जिसमे चौबेपुर के पुलिसकर्मियों पर मुखबिरी का आरोप लगा है। यहीं के शिवली थाने में 19 पुलिसकर्मी कई साल पहले विकास के खिलाफ गवाही देने से मुकर गए थे। जिस वजह से विकास दुबे की हिम्मत काफी बढ़ गई थी।
क्यों मुकरे थे शिवली थाने के पुलिसकर्मी
जानकारी के मुताबिक, 2001 में कानपुर के शिवली थाने में बीजेपी के दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या विकास दुबे ने दिनदहाड़े की थी लेकिन इस हत्या के गवाह थाने में मौजूद तब के 19 पुलिस वाले इससे मुकर गए। वर्ष 2006 में मामले की गवाही खत्म होते ही विकास दुबे बरी हो गया था। विकास दुबे के खिलाफ तब मृतक संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
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उस समय थाने में पांच सब इंस्पेक्टर और 20 पुलिसकर्मी मौजूद थे जिनमें से 19 लोग गवाह बनाए गए थे। कहा जा रहा है कि अगर कानपुर के शिवली थाने के 19 पुलिसकर्मियों ने विकास दुबे के खिलाफ गवाही दी होती तो आज वह इतना बड़ा गैंगस्टर नहीं होता। इस केस के बाद पंचायत और निकाय चुनावों में इसने कई नेताओं के लिए काम किया और उसके संबंध प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों से हो गए। तभी से ये शिवली का डॉन कहलाने लगा।
आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने में भी पुलिस का हाथ
गौरतलब है कि, विकास दुबे के घर पर दबिश के वक्त चौबेपुर थाने में तैनात सिपाही ने शिवली सबस्टेशन पर फोनकर बिकरू गांव की बिजली कटवाई थी। ये सिपाही बिकरू गांव का बीट कॉन्स्टेबल भी है। बीट सिपाही गांव की एक-एक गली और रास्ते से वाकिफ था। शनिवार को सीओ रसूलाबाद ने सबस्टेशन के एसएसओ, लाइनमैन और जेई से पूछताछ की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ।
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