अक्सर आपने सुना होगा लोग हिन्दू मुस्लिम सौहार्द की बात करते हैं, लेकिन अगर इन बातों से प्रभावित होकर कोई शख्स इस दिशा में कदम बढ़ाता है तो खुद उसी के धर्म के ठेकेदार राह में रोड़ा बन जातें हैं. कुछ ऐसा ही मामला यूपी के शाहजहांपुर से आ रहा है. जहां एक मुस्लिम परिवार को शादी के कार्ड पर राम-सीता की तस्वीर छपवाना भारी पड़ गया. उलेमाओं ने इस कार्य को इस्लाम के खिलाफ बता दिया तो वहीं निकाह पढ़ाने वाले काजी ने निकाह पढ़ाने से ही इंकार कर दिया.
दरअसल, थाना अल्लाहगंज के चिलौआ गांव का रहने वाले इबादत अली की बेटी रुखसार बानो की शादी 30 अप्रैल को होनी है, जिसे लेकर उन्होंने उन्होंने कार्ड छपवाए थे जो कि पूरे इलाके में चर्चा का विषय बने हुए थे. कार्ड में भगवान राम और सीता की तस्वीर को देखकर हर किसी ने सराहना की लेकिन इबादत अली की सामाजिक सौहार्द की यह पहल कुछ मजहब के ठेकेदारों को पसंद नहीं आई और उन्होंने इबादत अली को मजहबी फरमान सुना दिया.
देवबंद के उलेमाओं ने एक सुर में इसे इस्लाम के खिलाफ ठहरा दिया. इतना ही नहीं दोबारा निकाह का कार्ड छपवाने का फरमान जारी जार दिया. इतना ही नहीं निकाह पढाने वाले काजी को भी हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल नागवार गुजरी. उन्होंने निकाह पढ़ने से साफ़ इंकार कर दिया. शर्त रख दी कि जब तक दुबारा कार्ड नहीं छपेंगे और इसके लिए लिखित में माफ़ी नहीं मांगी जायेगी वे निकाह नहीं होने देंगे.
जानकारी के मुताबिक ‘चिलौआ गांव में 1800 की हिन्दुओं की आबादी है. रुखसार की माँ बेबी बताती हैं कि गांव में केवल एक ही मुस्लिम परिवार रहता है. वहीं हिंदू परिवार के लोगों ने कभी भी एहसास नहीं होने दिया कि हम मुस्लिम हैं. हिन्दुओं ने हमें बेपनाह प्यार दिया है. उन्होंने बताया कि वह हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मों को मानने वाले व्यक्ति हैं. गांव के प्रसिद्ध देवी मंदिर में उन्होंने सबसे पहले अपनी बेटी का निमंत्रण पत्र चिलौआ देवी माता को अर्पित किया है.
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