अवैध धर्मांतरण (illegal Religoius Conversion) के मामले में मुख्य आरोपी छांगुर बाबा (Changur Baba) को लेकर शासन जल्द ही सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। एसटीएफ की गोपनीय जांच में यह सामने आया है कि बलरामपुर जिले में 2019 से 2024 के बीच तैनात एक एडीएम, दो सीओ और एक इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध रही है। जांच के दौरान इनमें से एक एडीएम और एक इंस्पेक्टर के खिलाफ ठोस साक्ष्य भी मिले थे, लेकिन उस वक्त कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब साक्ष्य पुख्ता होने पर इन सभी पर कार्रवाई की जाएगी।
जमीन खरीद में तहसील कर्मचारियों की संलिप्तता
जांच में यह भी सामने आया कि छांगुर बाबा ने 12 नवंबर 2023 को नीतू नाम की महिला के नाम से उतरौला में एक जमीन खरीदी थी। तहसील कर्मचारियों की मदद से यह जमीन खतौनी में चढ़ा दी गई थी। बाद में पता चला कि यह जमीन दरअसल एक तालाब की भूमि है। उतरौला नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने 24 जून 2022 को एडीएम बलरामपुर को पत्र लिखकर इस भूमि को पाटने से रोकने की मांग की थी।
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इंस्पेक्टर की कॉल रिकार्डिंग बनी बड़ी साक्ष्य
जांच में एक इंस्पेक्टर की भूमिका भी बेहद संदिग्ध पाई गई है। वह लगातार छांगुर के संपर्क में था और उसके कहने पर विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करता था। इस संबंध में एटीएस की एफआईआर में भी जिक्र किया गया है। एसटीएफ ने इंस्पेक्टर की कॉल रिकार्डिंग भी हासिल की है, जो अब जांच में एक अहम साक्ष्य के रूप में सामने आई है।
कोर्ट क्लर्क की पत्नी की भूमिका भी संदिग्ध
एसटीएफ जांच में यह भी पाया गया कि बलरामपुर कोर्ट में तैनात एक क्लर्क की पत्नी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। आरोप है कि छांगुर द्वारा खरीदी गई कुछ जमीनों में इस क्लर्क और उसकी पत्नी ने भी पैसे लगाए थे। इस एंगल की भी बारीकी से जांच की जा रही है, ताकि मामले की जड़ तक पहुंचा जा सके।
अन्य अफसर भी आ सकते हैं रडार पर
सूत्रों का कहना है कि अब तक चार अफसरों को चिन्हित किया जा चुका है और जल्द ही दो तहसीलदार समेत कुछ और अफसरों के नाम भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। एसटीएफ की टीम विस्तृत जांच कर रही है और जिन-जिन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई जा रही है, उन्हें जल्द ही कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
रिमांड में दिए गए नामों से खुली पोल
रिमांड पर पूछताछ के दौरान छांगुर बाबा ने एटीएस के सामने कई अफसरों और पुलिसकर्मियों के नाम उजागर किए हैं, जो बलरामपुर में उसकी तैनाती के दौरान उसके संपर्क में रहे। उसने उस इंस्पेक्टर का नाम भी दोहराया जो पहले से जांच के घेरे में था। इन सभी बयानों और साक्ष्यों को जांच का हिस्सा बना लिया गया है। जल्द ही इन अधिकारियों पर भी शिकंजा कस सकता है।