प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय कृषि क्षेत्र को देश की अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक बताया। उन्होंने कृषि क्षेत्र के समग्र विकास को केवल आर्थिक समृद्धि से जोड़ने के बजाय इसे भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा से भी जोड़ने की बात की। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर भारत को विकास के उच्चतम लक्ष्यों को प्राप्त करना है, तो कृषि क्षेत्र की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब विचार-विमर्श का समय नहीं है, बल्कि केवल क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, ताकि देश को तेजी से और बेहतर परिणाम मिल सकें।
विकसित भारत के लिए बजट को नया दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल के केंद्रीय बजट को “विकसित भारत” के विजन का विस्तार बताते हुए इसे एक नए दृष्टिकोण के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब केवल योजनाओं पर विचार नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इन्हें प्रभावी तरीके से लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। मोदी ने कहा, “हम योजनाओं पर नहीं, बल्कि उनके सही और प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर देंगे, ताकि हम अपने लक्ष्यों को जल्दी से और प्रभावी रूप से हासिल कर सकें।” उन्होंने कार्यान्वयन में आने वाली समस्याओं पर चर्चा करते हुए हितधारकों से यह सवाल किया कि “हमें कौन-कौन सी तकनीकी और संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता है, जिससे हम इन योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू कर सकें?” क्योंकि पीएम मोदी ने कहा- ‘भारत की समृद्धि के लिए कृषि क्षेत्र का विकास अनिवार्य है’।
कृषि में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना को एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी, जिससे योजनाएं और सहायता सीधे किसानों तक पहुंच सकेंगी। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से हम पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे योजनाओं के क्रियान्वयन में कोई बाधा न आए। उन्होंने कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के उपयोग और कृषि बाजारों को डिजिटल माध्यम से जोड़ने के महत्व को रेखांकित किया।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मछली पालन के क्षेत्र में निवेश
प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया और मस्त्य पालन जैसे सेक्टर में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि मछली उत्पादन और निर्यात में पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। विशेष रूप से, 2019 में शुरू की गई मत्स्य संपदा योजना के परिणामस्वरूप, भारत में मछली उत्पादन और निर्यात दोगुना हो चुका है। इसके अलावा, उन्होंने समुद्र में सतत मछली पालन को बढ़ावा देने की योजना की चर्चा की, जिससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और मछली पालन के कारोबार को नई दिशा मिलेगी।
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ग्रामीण समृद्धि के लिए सरकार की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। पीएम आवास योजना के तहत करोड़ों गरीबों को पक्के घर दिए गए हैं। इसके अलावा, ग्राम सड़क योजना के तहत छोटे किसानों और कारोबारियों को बेहतर सड़क कनेक्टिविटी प्रदान की गई है, जिससे उनके उत्पादों की बाजार तक पहुंच आसान हुई है। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस योजना के तहत अब तक सवा करोड़ ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं और तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि बजट में ग्रामीण विकास और समृद्धि को प्राथमिकता दी गई है, जिससे रोजगार और निवेश के नए अवसर पैदा होंगे।
कृषि क्षेत्र का विकास
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय कृषि क्षेत्र की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला और बताया कि पिछले कुछ वर्षों में कृषि उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। उन्होंने उल्लेख किया कि एक दशक पहले कृषि उपज लगभग 2,650 लाख टन थी, जो अब बढ़कर 3,300 लाख टन से अधिक हो गई है। इसके साथ ही बागवानी उत्पादन भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है और 3,500 लाख टन से ज्यादा हो गया है। यह वृद्धि बीज से बाजार तक की योजना, कृषि सुधार, किसानों का सशक्तिकरण, और मजबूत वैल्यू चेन के परिणामस्वरूप संभव हो पाई है।
दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में सरकार के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत दलहन के आयात पर अब भी काफी हद तक निर्भर है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में दलहन उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। वर्तमान में, चने और मूंग में आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा चुकी है, लेकिन तुअर, उड़द और मसूर के उत्पादन को बढ़ाने के लिए और तेजी से कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि पिछले एक दशक में आईसीएआर ने 2,900 से अधिक नई किस्में विकसित की हैं, जिससे देश में कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिला है।