OPINION: योगी सरकार में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को धार भी और संकल्प पूरे करने पर बल भी

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त होते ही भारतीय जनता पार्टी 2024 में लोकसभा की सभी 80 सीटो पर विजय का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सक्रिय हो गई है। अपनी तैयारियों को धार देने के लिए मुख्यमंत्री योगी अदियानाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का चार दिवसीय छोटा सत्र बुलाया। इस सत्र में 28,760.67 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया जिसमें सरकार ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था की और साथ ही अपने पुराने चुनावी संकल्पों को पूरा करने के लिए भी कमर कस ली।

योगी सरकार की ओर से प्रस्तुत किये गए बजट में अयोध्या पर विशेष ध्यान दिया गया है। सर्वविदितहै कि अयोध्या में आगामी 22 जनवरी को रामलला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है और उससे पूर्व ही प्रदेश के वातावरण को राममय बनाने की तैयारी तीव्र गति से चल रही है। आगामी लोकसभा चुनावों मे भाजपा ने विपक्ष के जातीय दांव के विरुद्ध अयोध्या में रामलाला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान से 60 करोड़ परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। यही कारण है कि अब प्रदेश सरकार भी बजट के माध्यम से एक वातावरण बनाने जा रही है। अयोध्या में आयोजित होन वाले समारोह को सांस्कृतिक चेतना के वृहद आयोजन के तौर पर प्रस्तुत करने के लिए रामोत्सव और अयोध्या के लिए 100 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई है। अयोध्या संरक्षण एवं विकास निधि के लिए अनुदान के रूप में 50 करोड़ की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोष संस्थान के लिए पांच करोड़ और इसके विकास व विस्तार के लिए 20 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

प्रदेश में राममय वातावरण बनाने के लिए मकर संक्रांति से होली तक चलने वाले राम उत्सव पर 100 करोड़ रुपए खर्च होंगे और इस धन के माध्यम से विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का अयोजन किया जायेगा। पूरे प्रदेश में राम मंदिर, वाल्मीकि मंदिर, हनुमान मंदिर आदि में भजन, कीर्तन, रामचरित मानस, रामकथा और अखंड रामायण का पाठ कराया जाएगा।इसमें स्थानीय कलाकारों का सहयोग लिया जाएगा। जगह- जगह भजन मंडलियों को तैयार किया जायेगा।

इतना ही नहीं अनुपूरक बजट में बस्ती में श्रीराम अवतरण कॉरिडोर का निर्माण, श्रीराम जन्मभूमि से प्रभु श्रीराम पुत्रेष्टि यज्ञ स्थली तक और चौरासी कोसी परिक्रमा मखौड़ाधाम बस्ती तक होगा। साथ ही सरकार 100 वर्ष से अधिक पुराने मंदिर, मठ, धर्मशाला और पुण्य तीर्थस्थलों के जीर्णोद्धार के लिए छह करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया है। सरकार ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को धार देने के लिए तीर्थ स्थलों के विकास के लिए भी 1000 करोड़ रुपए का प्रावधान कर दिया है।मुख्यमंत्री पर्यटन सहभागिता योजना के तहत हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक पर्यटक स्थल के विकास पर यह धनराशि खर्च की जाएगी। गोरखपुर में पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। पर्यटन स्थलों के प्रचार-प्रसार के लिए अतिरिक्त 38 करोड़ रुपए बजट का प्रावधान किया गया है। बजट में सिख धर्म के लोगों को पंच तीर्थयात्रा कराने के लिए एक-एक लाख रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। वहीं प्रदेश के निवासियों के लिए बौद्ध तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए अनुदान देने के लिए भी एक लाख रुपए की प्रतीकात्मक व्यवस्था की गई है।

भाजपा अपने संकल्प पत्र में महिलाओं से किया गया एक वादा पूरा करने की ओर भी अग्रसर हुई है जिसमें सरकार ने 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा के लिए एक करोड़ रुपए की व्यवस्था भी कर दी गई है। सरकार ने किसानों और बिजली क्षेत्र के विकास व सुदृढ़ीकरण के लिए भी व्यापक रूप से धन की उपल्ब्धता करा दी है। किसानों की एक बहु प्रतीक्षित मांग को पूरा करते हुए वरकार ने निजी नलकूपों के बिजली कनेक्शन पर मुफ्त बिजली देने का वादा पूरा करने का स्पष्ट संकेत दे दिया है। साथ ही अयोध्या, नैमिषारण्य समेत 16 शहरों में राजकीय संस्कृत विद्यालय खोलने की भी व्यवस्था की गई है।

यह संक्षिप्त सत्र इसलिए और महत्वपूर्ण हो गया क्योंकि इस सत्र में सरकार ने श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद विधेयक 2023, श्री शुक तीर्थ विकास परिषद विधेयक- 2023 और श्री देवीपाटन तीर्थ विकास परिषद विधेयक-2023 भी पारित कराने के लिए रखे हैं। यह विधेयक पारित हो जाने के बाद जब कानून बन जाएंगें उसके बाद तीर्थ विकास परिषद एक नियमित निकाय बन जायगा। इन सभी परिषदों का अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। श्री देवी पाटन धाम तीर्थ विकास परिषद के गठन के बाद मां पाटेष्वरी धाम के पूरे क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। सभी परिषद ऐतिहासिक विरासत वाले स्थलों पुरातात्विक महत्व के स्थलों का संरक्षण करेगा। इन सभी क्षेत्रों में आम जनता के लिए मूलभूत सुविधाओं का भी विकास होगा।

( मृत्युंजय दीक्षित, लेखक, राजनीतिक जानकार व स्तंभकार हैं.)

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