पाकिस्तानी फतवे को देवबंदी उलेमाओं का समर्थन, क्रिसमस डे मनाना और मुबारकबाद देना इस्लाम में हराम

ईसाईयों के त्यौहार क्रिसमस पर पाकिस्तान के फतवे पर हिंदुस्तान के देवबंदी उलेमाओं ने अपना समर्थन दिया है, और कहा कि किसी मुसलमान को क्रिसमस मनाना और उसकी मुबारकबाद लेना और देना दोनों इस्लाम में नाजायज और हराम हैं. शरियत को मानने वालों को ऐसा नहीं करना चाहिए. क्रिसमस-डे से से ठीक पहले  पाकिस्तान के दारुल उलूम कराची का एक फतवा जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो देवबंदी मुफ्तियों ने भी इस पर बिना देर किये अपनी मोहर लगाते हुए इसे जायज ठहराया.

 

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दरअसल दारुल उलूम कराची से जारी फतवे में इसाई धर्म के त्यौहार क्रिसमस मनाना या किसी को क्रिसमस-डे की बधाई देने या लेने को नाजायज करार दिया था. पाकिस्तान के फतवे पर फतवा ऑनलाइन के प्रभारी मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि क्रिसमस इसाइयों का मजहबी त्योहार है. इससे मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं है. मुसलमानों को इसमें शिरकत नहीं करनी चाहिए. गैर मुस्लिमों के धार्मिक आयोजनों में शिरकत करने की इस्लाम मे गुंजाइश नहीं है.

 

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पाकिस्तानी फतवे को अपना समर्थन देते हुए दारुल इल्म के मोहतमिम मुफ्ती कासमी कहते हैं  कि क्रिसमस के लिए दारुल उलूम कराची से जारी फतवा एकदम सही है. उन्होंने कहा कि देश के दारुल इफ्ता ही नहीं, बल्कि विश्व के दूसरे दारुल इफ्ता भी मुसलमानों को क्रिसमस मनाने और इसकी मुबारकबाद देने एवं कार्यक्रमों में शामिल होने को नाजायज करार दे चुके हैं. यह इस्लाम और शरियत में हराम है.

 

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