TMC सांसद के मंदिर जाने पर भड़के देवबंदी उलेमाओं ने नुसरत को बताया गुनाहगार, पूछा- बतायें हिन्दू हैं या मुसलमान

टीएमसी सांसद नुसरत जहां (Nusrat jahan) के सिंदूर मंगलसूत्र को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. वो लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं. इसी बीच अब नुसरत अब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Jagannath Yatra) में शामिल होने को लेकर अब वो देवबंदी उलेमाओं के निशाने पर आ गयीं हैं. उलेमाओं ने नाराजगी जताते हुए उनसे पूछा है कि बताएं कि वे हिन्दू हैं या मुसलमान.


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मजलिस इत्तेहाद-ए-मिल्लत के प्रदेशाध्यक्ष मुफ्ती अहमद गौड़ ने कहा कि नुसरत जहां अगर यह इकरार करें कि उन्होंने मुस्लिम धर्म छोड़ दिया है, तो फिर वह कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन अगर उन्होंने मुस्लिम धर्म नहीं छोड़ा और उसके बावजूद भी वह दूसरे धर्मों की परंपराओं को अपना रहीं हैं तो सब गुनाह है. उन्होंने कहा, ‘ अगर वो अभी भी मुसलमान हैं तो वह उसकी परंपराओं को निभाएं. इस्लाम धर्म में जो तरीका इबादत का रखा गया है उसी तरह वह इबादत करें’


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इस्कॉन द्वारा कोलकाता में निकाली गई रथयात्रा के लिए इस्कॉन के विशेष आमंत्रण पर नुसरत जहां अपने पति के साथ रथयात्रा में भाग लेने पहुंची. इस दौरान उन्होंने आरती भी की. इस पर फतवा ऑनलाइन के प्रभारी मुफ्ती अरशद फारूकी ने कहा कि जहां तक इस्लाम का ताल्लुक है तो मुसलमान किसी दूसरे धर्म की निशानी या क्रियाकलाप को नहीं कर सकता है. यह बिल्कुल गलत है. वहीं, जमीयत दावतुल मुसलिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि शरीयत के अनुसार इसकी इजाजत नहीं कि किसी की निजी जिंदगी में दखलअंदाजी की जाए. लेकिन इस्लाम में रहते हुए मुसलमान केवल अल्लाह की इबादत कर सकता है, क्योंकि इस्लाम एक एकेश्वरवादी धर्म है. इसमें मूर्तिपूजा या फिर किसी अन्य धर्म के क्रियाकलाप को करने की इजाजत नहीं है. जिस प्रकार एक अंक के साथ किसी दूसरे अंक को जोड़ देने से एक अंक का स्तित्व खुद-बखुद समाप्त हो जाता है.


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उसी प्रकार कोई भी एकेश्वरवादी (मुस्लिम) अगर किसी और धर्म के देवी-देवता की पूजा कर ले तो वह खुद-बखुद बहुदेवतावादी बन जाता है. यानी जब कोई व्यक्ति एक अल्लाह के अलावा किसी और को भी पूजा योग्य मान लेता है तो वह एकेश्वरवादी कैसे कहला सकता है. ऐसे लोगों का इस्लाम धर्म से कोई संबंध नहीं बचता है, क्योंकि इस्लाम का संबंध मुसलमानों वाला नाम रख लेने से नहीं है, बल्कि इस्लाम के अनुसार ईमान और अमल करने से हैं. जिस प्रकार इस्लाम के सिद्धांत को अपनाने वाला दूसरे धर्म का शख्स मुसलमान हो जाता है, उसी प्रकार इस्लाम के सिद्धांतों का इनकार या उसके विपरीत आचरण करने वाला मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ शख्स भी इस्लाम से स्वत: ही खारिज हो जाता है. उसे इस्लाम से किसी को खारिज करने की जरूरत नहीं है.


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दरअसल, नुसरत जहां को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था. इस्कॉन ने कोलकाता में आयोजित रथयात्रा के लिए बशीरहाट से सांसद नुसरत जहां को स्पेशल गेस्ट के तौर पर बुलाया था, जिसे नुसरत जहां ने स्वीकार करते हुए धन्यवाद भी दिया था. नुसरत जहां ने एक वीडियो मैसेज में कहा था कि मैं रथयात्रा के आयोजन के लिए इस्कॉन को बधाई देती हूं. मैं रथयात्रा में उपस्थित रहूंगी. अपनी बात पर कायम रहते हुए नुसरत जहां गुरुवार को इस्कॉन मंदिर पहुंचीं, जहां उन्होंने भगवान जगन्नाथ की आरती भी की.


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