बिहार की राजनीति में डिजिटल प्रचार अब चुनावी हथियार बन चुका है। आगामी विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल तकनीकों के जरिए मतदाताओं तक पहुंचने की योजना बना रहा है। 2020 के चुनाव में जब कोरोना महामारी के कारण वर्चुअल कैंपेनिंग का बोलबाला था, तब जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने इस माध्यम का बखूबी इस्तेमाल किया और चुनावी मैदान में बढ़त हासिल की थी। लेकिन इस बार राजद डिजिटल प्रचार के मोर्चे पर कमर कस चुका है और AI की मदद से मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाने की तैयारी कर रहा है।
AI कैसे बदलेगा चुनाव प्रचार का तरीका?
JDU, जिसने 2020 में वर्चुअल रैलियों और सोशल मीडिया के जरिए अपना प्रभाव छोड़ा था,2020 में वर्चुअल रैलियों और सोशल मीडिया के जरिए अपना प्रभाव छोड़ा था, इस बार भी डिजिटल प्रचार में पीछे नहीं रहना चाहता। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी डिजिटल समन्वयकों की एक टीम तैयार कर रही है, जो AI और सोशल मीडिया एनालिटिक्स की मदद से मतदाताओं को प्रभावित करने का काम करेगी।JDU के रणनीतिकारों का मानना है कि डिजिटल प्रचार सिर्फ शहरी मतदाताओं तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि गांवों में भी सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए लोगों तक पहुंचा जाएगा।
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बिहार चुनाव 2025 में AI और डिजिटल प्रचार की भूमिका अहम रहने वाली है। जहां JDU ने पहले ही डिजिटल रणनीति अपनाई थी, वहीं राजद अब इस क्षेत्र में आक्रामक रुख अपनाने जा रहा है। सवाल यह है कि क्या डिजिटल प्रचार वास्तव में चुनावी नतीजों को प्रभावित कर पाएगा? और क्या यह परंपरागत जनसभाओं का विकल्प बन सकता है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार का चुनाव अब सिर्फ जमीनी मुद्दों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि डिजिटल स्पेस में भी इसका जबरदस्त मुकाबला देखने को मिलेगा। अब देखना यह है कि 2025 के चुनाव में AI और डिजिटल प्रचार किस पार्टी को बढ़त दिलाता है।
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