मुकेश कुमार, संवाददाता गोरखपुर । निजीकरण के खिलाफ बिजली विभाग के कर्मचारी और अधिकारी बीते 97 दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। संयोजक पुष्पेंद्र सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे विभिन्न तरीकों से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि बिजली विभाग को निजी हाथों में न सौंपा जाए।
उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत आगरा और नोएडा में टोरेंट कंपनी को टेंडर दिया गया है, लेकिन इससे विभाग को भारी नुकसान हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, कंपनी के संचालन के बाद से अब तक 2434 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है, जबकि यूपीपीसीएल को हर साल 274 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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बिजली दरों में भारी अंतर, जनता पर बोझ
पुष्पेंद्र सिंह के अनुसार, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) 5.55 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदकर टोरेंट कंपनी को 4.36 रुपये में दे रहा है। वहीं, टोरेंट कंपनी यही बिजली आम जनता को 7.98 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बेच रही है, जिससे उसे सालाना लगभग 800 करोड़ रुपये का मुनाफा हो रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण का यह खेल उच्च स्तर पर चल रहा है, जिसमें कर्मचारियों और आम जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है।
26 जून को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की चेतावनी
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बिजली विभाग के कर्मचारियों ने साफ किया कि अगर सरकार निजीकरण को वापस नहीं लेती है, तो 26 जून को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी। इस दौरान सभी कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे और सरकार पर दबाव बनाने के लिए बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
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