बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को अदाणी समूह (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अदाणी (Rajesh Adani) को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उन्हें 388 करोड़ रुपये के मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन के मामले से बरी कर दिया। यह फैसला उद्योगपतियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी कंपनी और व्यक्तिगत छवि पर पड़ रहे गलत असर को कम किया जा सकता है।
2012 में दायर हुई थी चार्जशीट
यह मामला 2012 में सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) द्वारा अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और उसके प्रमोटर, गौतम अदाणी तथा राजेश अदाणी के खिलाफ शुरू किया गया था। SFIO ने इन पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था, और उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस चार्जशीट में करीब 388 करोड़ रुपये के मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन का आरोप शामिल है।
हाई कोर्ट ने दी राहत
साल 2019 में, गौतम अदाणी और राजेश अदाणी नी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना था कि सत्र अदालत ने उन्हें इस मामले से मुक्त करने से इनकार कर दिया था। इसी वजह से उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सोमवार को जस्टिस आर एन लड्ढा की एकलपीठ ने सत्र अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और दोनों को मामले से मुक्त कर दिया।
SFIO का आरोप
एसएफआईओ (SFIO) की ओर से आरोप था कि अदाणी समूह ने अवैध तरीके से लाभ प्राप्त करने के मामले में नियमों का उल्लंघन किया था। इस मामले में बाजार के नियामक दिशा-निर्देशों का उल्लंघन और वित्तीय लेनदेन पर भी गंभीर सवाल उठाए गए थे। हालांकि, कोर्ट ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश पर लगाई थी रोक
दिसंबर 2019 में, हाई कोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी और इसे समय-समय पर बढ़ाया भी था। इस रोक के बाद उद्योगपतियों को राहत मिली थी, और अब हाई कोर्ट ने उन पर लगे आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
मजिस्ट्रेट अदालत का आदेश
मई 2014 में मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने अदाणी और अन्य आरोपियों को इस मामले से बरी कर दिया था। हालांकि, एसएफआईओ ने मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी थी। इसके बाद नवंबर 2019 में सत्र अदालत ने मजिस्ट्रेट के आदेश को पलटते हुए आरोपों को वैध करार दिया था और आरोपियों को अदालत में पेश होने के लिए निर्देशित किया था।
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हाई कोर्ट का निर्णय
अब, हाई कोर्ट के फैसले के बाद यह मामला समाप्त हो गया है। इससे न केवल अदाणी समूह के लिए कानूनी राहत मिली है, बल्कि यह वित्तीय और बाजार नियामक मामलों में भी एक महत्वपूर्ण मिसाल प्रस्तुत करता है।इस निर्णय से अदाणी समूह को राहत मिली है, लेकिन यह मामला भारतीय कारोबार जगत में कानूनी और नियामक अनुपालन के महत्व को फिर से सामने लाता है।