मंगलवार को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश मुख्यालय में अपना घोषणा पत्र जारी किया है। इस घोषणा पत्र को ‘समाजवादी वचन पत्र’ (Samajwadi Vachan Patra) का नाम दिया गया है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इसमें वर्ष 2027 तक के अपनी पार्टी के लक्ष्य को शामिल किया है। इस घोषणा पत्र में यूपी पुलिस के कर्मचारियों के लिए भी खास ऐलान किया गया है। अखिलेश यादव ने कुछ ऐसा कहा है, जिसकी उम्मीद अराजपत्रित पुलिसकर्मियों को बेहद ही लंबे समय से थी।
पूर्व सीएम ने किया ऐलान
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने UP के किसान और जनता के सामने अपना वचन पत्र जारी किया है। जिसमे यूपी पुलिस के लिए काफी ऐलान किए गए हैं। सपा के घोषणा पत्र के अनुसार, UP पुलिस भर्ती में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा, समान काम के लिए समान वेतन के तहत महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन दिया जाएगा। इसके साथ ही आगामी समय में उत्तरदायी पुलिस प्रणाली विकसित करेंगे जो मानवीय और जनता के लिए बेहतर काम करे।
बिग ब्रेकिंग– @samajwadiparty
लम्बे समय से पुलिस कर्मीयों की चली आ रही मांग को लेकर अखिलेश यादव नें अपने वचन पत्र में पुलिस कर्मीयों को उनके मण्डल के समीपवर्ती जनपद में पोस्टिंग करने का किया एलान।मेनिफेस्टो कमेटी विशेषकर @yadavakhilesh जी को धन्यवाद 💐💐💐💐#बोर्डरस्किम https://t.co/Tsq4FX5puc pic.twitter.com/VZfPZak8vs
— Kumar_Vivekk_official (@vivekkumar84) February 8, 2022
आगे अखिलेश ने कहा कि सरकार आने पर वो साइबर क्राइम यूनिट्स की स्थापना करेंगे। इन सब ऐलानों में सबसे बड़ा ऐलान था, जवानों की नियुक्ति को लेकर। अखिलेश यादव ने ऐलान करते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों को उनके गृह जनपद के बगल के जिले में नियुक्त किया जाएगा, सभी पुलिसकर्मियों को सप्ताह में एक दिन का अवकाश दिया जाएगा। ताकि वो ड्यूटी के साथ साथ अपना पारिवारिक फर्ज निभा सकें।
अभी घर से बहुत दूर मिलती है तैनाती
वर्तमान समय में अराजपत्रित पुलिसकर्मियों के गृहजनपद और ड्यूटी जनपद के बीच एक जिला होना आवश्यक है। यानी कि लखनऊ के रहने वाले किसी नॉन गजेटेड पुलिसकर्मी को लखनऊ के अलावा उसकी सीमा से सटे जिलों जैसे- उन्नाव, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई में भी तैनाती नहीं मिल सकती। इन जिलों के बाद आने वाले दूसरे जिलों जैसे गोंडा, लखीमपुर-खीरी या कानपुर आदि में ही उसे तैनाती दी जा सकती है। काफी लंबे समय से इस नियम को हटाने की मांग उठ रही है।
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