Budget 2019: मध्यवर्ग को टैक्स में राहत, किसानों की मदद के हर संभव प्रयास के साथ ही हो सकते है और भी कई बड़े ऐलान

साल 2019-2020 का अंतरिम बजट पूरी गर्म-जोशी के साथ तैयार है, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार आम चुनावों की नजदीकयों को देखते हुए इस अंतरिम बजट में कई बड़े ऐलान कर सकती है. खबरों के अनुसार, इस बजट में संभवतः कृषि क्षेत्र से जुड़े कई अहम फैसले लिए जा सकते है. साथ ही कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने के साथ-साथ मध्यवर्ग को टैक्स में राहत देने के प्रयास भी शामिल होने की संभावना है. इसमें कोई दो राय नहीं कि सरकार आने वाले चुनवों में सभी तबके को खुश करना चाहती है. ऐसे में साल 2019-2020 का बजट कई मायनों से अहम होगा.


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टैक्स पर होगी छूट, लेकिन?

इस बजट में सभी की निगाहें मध्यवर्ग को टैक्स में राहत पर होगी, लेकिन अभी तक इसकी रूपरेखा तैयार नहीं है. लेकिन ख़बरों के अनुसार, 1 फरवरी को पेश होने वाले इस बजट में वित्त वर्ष 2019-20 के पहले कुछ महीनों के दौरान टैक्स छूट का ऐलान संभव है. ख़बरों के अनुसार, इस बजट में वादा किया जा सकता है कि अगर मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आई तो इस राहत की अवधि बढ़ाई जाएगी.


क्या होगा सरकार का प्लान


अनुमान है कि, वर्तमान में वित्त मंत्रालय का कामकाज देख रहे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल इस अंतरिम बजट भाषण के बड़े हिस्से में सरकार की विभिन्न पहलों एवं भविष्य के अजेंडे का बखान कर सकते हैं. खबर है कि, इस बजट में गोयल टैक्स पर राहत देने के लिए स्लैब में बदलाव करेंगे या फिर स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 40 हजार रुपये से बढ़ाने का ऐलान होगा. चर्चा इस बात की भी है कि वह मेडिकल इंश्योरेंस लेने पर छूट के ऐलान तक ही सीमित रह सकते हैं.


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जेटली का संकेत


बहरहाल, मोदी सरकार से इस बजट में बड़े-बड़े ऐलान की उम्मीद की जा रही है, लेकिन आशंका यह भी है कि अंतरिम बजट की बाध्याताओं के कारण ऐसा संभव नहीं हो. हालांकि, अमेरिका में इलाज करा रहे निवर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में संकेत दिया था कि सरकार अर्थव्यवस्था की तात्कालिक चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठा सकती है. इसलिए, उम्मीद की जा रही है कि इस बार के कृषि संकट और इसका अर्थव्यवस्था पर असर जैसे मुद्दे बजट की प्राथमिकता में शामिल रह सकते हैं.


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सरकार में मुश्किल


पिछले बजट में भी टैक्स दरों में बदलाव की बड़ी उम्मीद जताई गई थी, लेकिन वित्तीय अनुशासन में बंधे होने के कारण सरकार ने ऐसा कोई ऐलान नहीं किया था. हालांकि, सरकार लगातार कहती रही है कि टैक्सपेयर के पॉकेट में ज्यादा पैसे रहने से अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ती है. सरकार के सामने मुश्किल यह है कि आयुष्मान भारत जैसी विशाल योजना को सुचारू तरीके से चलाने के लिए मोटी रकम की जरूरत है जबकि जीएसटी के तहत टैक्स कलेक्शन अब भी लक्ष्य से कम हो रहा है.


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