उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रदेश के 18 लाख कर्मचारियों के डीए जारी न किए जाने के मामले में वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब कर तत्काल डीएम भुगतान के आदेश जारी करने के निर्देश दिए। यही वजह है कि शासन ने राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों को जनवरी से बढ़े महंगाई भत्ते (डीए) के भुगतान की अनुमति का प्रस्ताव केंद्रीय निर्वाचन आयोग को भेज दिया है।
अधिकारियों की कार्यशैली पर सीएम नाराज
दरअसल, शासन के अफसरों ने अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के डीए भुगतान का आदेश चुनाव आचार संहिता लागू होने के पहले ही कर दिया था। लेकिन शिक्षकों और कर्मचारियों का प्रस्ताव दबा दिया था। जिसकी वजह से कर्मचारी नाराज चल रहे थे। ऐसे में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अफसरों की इस कार्यशैली का पता चला तो उन्होंने इसे संज्ञान लिया। जिसके बाद शनिवार को वित्त विभाग के अफसरों को तलब कर नाराजगी जाहिर की गई।
इसके तुरंत बाद प्रदेश के 18 लाख कर्मचारियों और शिक्षकों को जनवरी से तीन फीसदी (9 से 12 फीसदी करने) बढ़े महंगाई भत्ते के भुगतान के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। फिर यह प्रस्ताव मुख्य सचिव समिति को भेजा गया था। यही समिति देखती है कि संबंधित प्रस्ताव आचार संहिता से आच्छादित है या नहीं। आचार संहिता के दायरे में न आने वाले प्रस्तावों को समिति अपने स्तर से ही कार्यवाही का आदेश दे सकती है। समिति यदि किसी प्रस्ताव को चाहे आयोग को अनुमति के लिए भेज सकती है। आयोग उस पर अंतिम निर्णय लेता है। बता दें कि पूर्व में भी आयोग वचनबद्ध देयों के भुगतान की सहमति देता रहा है। इससे प्रस्ताव को जल्दी ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
पहले भी लोकसभा चुनाव के दौरान मिल चुकी है आयोग की सहमति
सूत्रों के मुताबिक मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय की अध्यक्षता वाली समिति की रविवार को हुई बैठक में समिति ने डीए भुगतान संबंधी प्रस्ताव का परीक्षण कर अपनी संस्तुति केंद्रीय चुनाव आयोग को भेज दी है। समिति ने 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान डीए भुगतान के लिए प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर आयोग की सहमति का जिक्र करते हुए प्रकरण को आचार संहिता के दायरे से बाहर का बताया है और भुगतान की अनुमति की मांग की है।
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शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक-दो दिन में आयोग की सहमति मिल जाने की उम्मीद है। बढ़े डीए का भुगतान वचनबद्ध देयों में शामिल हैं और नियमित तौर पर किया जाने वाला कार्य है। ऐसे में इसकी मंजूरी में किसी तरह की अड़चन की संभावना नहीं है।
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