हापुड़ मामले को लेकर हड़ताल कर रहे वकीलों को बार काउंसिल ऑफ यूपी के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ (Chairman Bar Council of UP Shiv Kishore Gaur) ने न्याय का भरोसा दिलाया है. मीडिया को जारी पत्र में अध्यक्ष ने पूरे वाकये को दोहराकर घटनाक्रम का जिक्र करते हुए वकीलों को फिर से कार्य पर लौटने को कहा है. अध्यक्ष ने आगे के आंदोलन की रूपरेखा भी बताई है. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हम प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे.
अपने पत्र में शिव किशोर गौड़ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश अधिवक्ताओं की मातृ संस्था है और माननीय उच्च न्यायालय सम्पूर्ण न्यायिक प्रकरण के एक भाग की तरह है. हापुड़ कांड की घटना से अधिवक्ता-गणों में उपजे रोष और क्रोध के चलते न्यायिक कार्यवाही बाधित है. वास्तविक रूप से माननीय उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार के प्रति आपका रोष और क्रोध निश्चित रूप से वाजिब हो सकता है, परन्तु अधिवक्ता-गण जो न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग हैं उनके द्वारा कार्य न करने से पूरे प्रदेश के करोड़ों वादकारी प्रभावित हो रहे हैं और न्यायालय में कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है. माननीय न्यामूर्तियों ने इस पर भी आश्चर्श व्यक्त किया कि 10 दिवस बीत जाने पर भी राज्य सरकार द्वारा इस संवेदनशील विषय पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया.
चूंकि अधिवक्ता-गण और परिषद स्वंय न्यायिक प्रक्रिया का एक अंग है, इसीलिए समस्त सदस्यों ने एक राय होकर न्यायालय के आदेशों तथा प्रशासनिक तौर पर माननीय न्यायमूर्ति गणों द्वारा इस आशय का आश्वासन दिए जाने पर कि अधिवक्ता गणों के पक्ष को पूरी तरह से सुनकर ही वर्तमान न्यायिक गठिक कमेटी अग्रिम कोई निर्णय लेगी. चूंकि कमेटी में काउंसिल के अध्यक्ष भी शामिल हैं इसलिए यह संभावना खत्म हो जाती है कि अधिवक्ताओं का पक्ष न्यायिक पीठ के सामने नहीं रख सकेंगे और न्याय नहीं मिल सकेगा.
इसीलिए ऐसी स्थिति में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के समस्त सदस्य राज्य सरकार के प्रति आंदोलन रहते हुए न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय स्थगित करते हैं. परिषद द्वारा राज्य सरकार के विरोध में आंदोलन की रूपरेखा सर्वसम्मति से निम्नवत पारित की जाती है. यादि वकीलों की मांग राज्य सरकार द्वार पूरी नहीं की गई तो निम्न प्रकार का आंदोलन पूरे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा.
1- दिनांक 16.09.2023 को कलेक्ट्रेट, ट्रेजरी व रजिस्ट्री परिसर में शांतिपूर्ण ढंग से धरना करेंगे.
2- हापुड़ में अधिवक्ताओं के ऊपर बर्बरतापूर्वक लाठीचर्ज उत्पीड़न व हत्या के विरोध में 22.09.2023 को अधिवक्ता काला फीता बांधकर काला दिवस मनाएंगे.
3- दिनांक 29.09.2023 को सरकार का पुतला जलाएंगे.
4- दिनांक 06.10.2023 को मण्डलवार अधिवक्ता सम्मेलन आहूत किए जाएंगे.
5- दिनांक 13.10.2023 को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, प्रयागराज में प्रदेश के समस्त बार एसोसिएशन के अध्यक्ष/मंत्री का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.
6- दिनांक 20.10.2023 को विधान सभा का घेराव करेंगे.
बता दें कि बीते दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति महेश चन्द्र त्रिपाठी की पीठ ने शनिवार को हापुड़ की घटना पर बार काउंसिल के पदाधिकारियों का पक्ष सुनने के बाद 6 सदस्यीय न्यायिक समिति का गठन किया जिसके बाद परिषद ने हड़ताल वापस लेने का निर्णय किया. राज्य विधिज्ञ परिषद ने यहां एक बयान बताया कि उसके अध्यक्ष शिव किशोर गौड़, सदस्य सचिव जय नारायण पांडेय और सदस्य मधुसुदन त्रिपाठी का पक्ष सुनने के लिए शनिवार को मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति महेश चन्द्र त्रिपाठी की पीठ गठित की गई थी.
परिषद ने शनिवार को उक्त पीठ के समक्ष प्रदेश के अधिवक्ताओं की ओर से हापुड़ घटना पर अपना पक्ष रखा जिस पर पीठ ने न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की. उस समिति में न्यायमूर्ति राजन राय, न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान, महाधिवक्ता उत्तर प्रदेश या उनके द्वारा नामजद व्यक्ति, राज्य विधिज्ञ परिषद के अध्यक्ष और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी शामिल होंगे.
यह है पूरा मामला
बता दें कि हापुड़ जिले में एक महिला वकील और पुलिस के सिपाही से विवाद हो गया था. घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. सड़क पर काफी विवाद होने के बाद पुलिस ने महिला अधिवक्ता और उनके पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी. इसके बाद हापुड़ बार एसोसिएशन ने पुलिस पर फर्जी रिपोर्ट लिखने का आरोप लगाते हुए तहसील चौराहे पर जाम लगा दिया था.
इसके बाद पुलिस जाम खुलवाने का प्रयास करने लगी. यहां पर पुलिस वालों में और अधिवक्ताओं में खींचतान होने लगी. इसके बाद पुलिस वालों ने वकीलों पर लाठी चार्ज कर जाम खुलवाया. इसी घटना के विरोध में लगातार वकीलों का प्रदर्शन जारी है. वकील अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे हैं. वकील घटना के लिए जिम्मेदार डीएम और एसपी को हटाने की मांग कर रहे हैं.
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