कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शनिवार को कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की सबसे बड़ी विरासत भारतीयों को उत्पीड़न का विरोध करने और स्वतंत्रता का दावा करने का साहस देना थी। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने परदादा से सत्य की खोज और हिम्मत विरासत में मिली है।
पॉडकास्ट में की संदीप दीक्षित से बातचीत
राहुल गांधी ये बातें कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के साथ एक खास बातचीत में कह रहे थे, जिसे सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ और यूट्यूब चैनल पर ‘सच और हिम्मत – नेहरू से जो मैंने विरासत में पाया’ वही साझा किया है।
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‘नेहरू ने डर से लड़ना सिखाया, राजनीति नहीं’
राहुल गांधी ने कहा, “नेहरू ने हमें राजनीति नहीं, बल्कि डर का सामना करना और सच के लिए खड़े होना सिखाया। उन्होंने भारतीयों को अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत दी।” उन्होंने आगे कहा, “उनकी सबसे बड़ी विरासत थी। सत्य की निरंतर खोज, जिसने उनके जीवन को दिशा दी।”
‘मेरे अंदर भी वही जिज्ञासा और खोज की भावना’
राहुल गांधी ने कहा कि उनके अंदर भी नेहरू जैसी ही जिज्ञासा और सच्चाई को जानने की चाह है। “नेहरू ने हमें सवाल पूछना और जिज्ञासु रहना सिखाया। ये सब मेरे खून में है,”।
नेहरू से जुड़े निजी किस्से भी सुनाए
बातचीत के दौरान राहुल ने अपनी दादी इंदिरा गांधी द्वारा सुनाए गए नेहरू से जुड़े कई निजी किस्से भी साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे नेहरू एक बार पहाड़ों में घूमते समय एक ग्लेशियर में गिरने से बचे, और कैसे जानवर उनके जीवन का अहम हिस्सा थे। उन्होंने कहा “मेरी मां आज भी बगीचे में पक्षियों को निहारती हैं और मैं जूडो करता हूं , ये हमारे स्वभाव का हिस्सा है,”।
‘नेताओं से सीखा डर से दोस्ती करना’
राहुल ने कहा, “महात्मा गांधी, नेहरू, अंबेडकर, पटेल और बोस ने हमें राजनीति नहीं, बल्कि हिम्मत सिखाई। उन्होंने डर को दोस्त बना लिया।” उन्होंने जोड़ा कि गांधीजी ने अकेले सत्य के बल पर साम्राज्य को चुनौती दी और कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया – यही उन्हें महान बनाता है।
‘हर किसी से सीखने की जिज्ञासा रखता हूं’
अपनी सोच साझा करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “चाहे मैं बिल गेट्स से मिलूं या चेतराम मोची से, मैं सभी से जिज्ञासा के साथ मिलता हूं। मेरे लिए नेतृत्व का अर्थ नियंत्रण नहीं, बल्कि करुणा है।”