यूपी: सरकारी विभागों में आउटसोर्सिंग से हो रही संविदा भर्तियों पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने अहम फैसला देते हुए पूरे प्रदेश के सरकारी विभागों में नियमित स्वीकृत पदों पर आउटसोर्सिंग (outsourcingo से हो रही संविदा भर्तियों पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट (High court) ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उमादेवी केस के बाद सेवा प्रदाता फर्मों से किस नियम से सरकारी विभागों में संविदा भर्तियां हो रही हैं ? जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में ही इस प्रकार की जाने वाली नियुक्तियों पर आपत्ति जतायी थी. यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीस्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की पीठ ने याची मेसर्स आर एम एस टेक्नोसलूशन लि. की ओर से दायर याचिका पर दिए हैं.


कोर्ट ने अगली सुनवाई 27 नवंबर को नियत करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि यदि याची के मामले में नियमित स्वीकृत पदों पर सेवा प्रदाता कंपनी के जरिये संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति का मामला है तो उन पदों पर अगली सुनवाई तक संविदा कर्मचारी नियुक्त नहीं किए जाएंगे. यह आदेश जस्टिस मुनीश्वरनाथ भंडारी व जस्टिस विकास कुमार श्रीवास्तव की बेच ने मेसर्स आरएमएस टेक्नोसोलूसन्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. याची का कहना था कि 25 अक्टूबर 2019 को बतौर सेवा प्रदाता कंपनी के उसका रजिस्टेशन सरकार ने रद कर दिया है. याची ने सरकार के आदेश को रद कर उसके रजिस्ट्रेशन को बहाल करने की मांग की है. याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि न केवल याची बल्कि अन्य कई सेवा प्रदाता कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद किया है ताकि समान नियमावली बनाई जा सके और सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्ति में एकरूपता लायी जा सके.


सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि सरकार नियमित स्वीकृत पदों के सापेक्ष भी सेवा प्रदाता कंपनियों के जरिये संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्ति कर रही है. इस पर कोर्ट ने 2006 में उमा देवी के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का संज्ञान लिया कि सरकार को तदर्थ नियुक्तियां नहीं करनी चाहिए और यह कि अगले छह माह में तदर्थ नियुक्तियों से मुक्ति पा ली जाए. उक्त आदेश का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछ लिया है कि नियमित स्वीकृत पदों पर नियमित नियुक्तियां क्यों नहीं की जा रही हैं. कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई पर स्पष्टीकरण आने तक याची के मामले में सरकार सेवा प्रदाता कंपनी के जरिये संविदा पर कर्मचारी नहीं नियुक्त करेगी.


क्या है उमा देवी केस

कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी के केस में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि सरकारी विभागों में बिना किसी स्वीकृत पद के बैकडोर से ,अस्थाई ,तदर्थ ,वर्कचार्ज के रूप में नियुक्ति गैर कानूनी है. कोर्ट ने कहा कि पद के बिना पहले तो काम पर लगा लिया बाद में कुछ वर्षों बाद वह व्यक्ति अनुभव के आधार पर नियमित होने की मांग करता है यह कानून की नजर में गलत है. इस प्रथा से नियमित पदों पर आने या नियुक्त होने वालों का हित प्रभावित होता है. इस केस से सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 से बैक डोर एंट्री को समाप्त कर दिया था.


बजट 2019-20 में कर्मचारी

  • वेतन पर खर्च होते हैं 60667.88 करोड़ 
  • चालू वित्तीय वर्ष में इस मद में खर्च हैं 48849.01 करोड़ 
  • वेतन मद से इतर आउटसोर्सिंग सेवाओं के लिए सरकार को खर्च करना होगा 790.66 करोड़
  • प्रदेश में करीब सवा चार लाख पद खाली हैं.
  • यूपी में 36 निगम एवं सार्वजनिक उपक्रम हैं। कोई नई भर्ती नहीं हुई.
  • 1.75 लाख कर्मचारी होते थे. रिटायरमेंट के चलते अब 75 हजार पद खाली हैं.
  • 790.66 करोड़ आउटसोर्सिंग का बजट है.
  • केंद्र व राज्य दोनों मिलाकर यूपी में करीब 7 लाख आउटसोर्सिंग कर्मचारी
  • कुल राज्य कर्मचारी 15 लाख 2000 हैं.

हाल में हुई सीधी भर्तियां

  • 68500 शिक्षक भर्ती हुए
  • 69000 शिक्षक भर्ती के लिए लिखित परीक्षा हुई
  • पुलिस में हुईं 75000 सिपाही भर्ती

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