कर्नाटक (Karnataka) में बीते दिनों हिजाब (Hijab Controversy) को लेकर किए गए बवाल में कई मुस्लिम छात्राओं ने अपनी जिद को लेकर परीक्षाओं को बहिष्कार किया। अब इन्हीं छात्राओं को लेकर कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने फैसला सुनाया है कि जिन 12वीं कक्षा की छात्राओं की प्रैक्टिकल एग्जाम में अनुपस्थिति रही, उनके लिए पीयू कॉलेज अलग से परीक्षा नहीं कराएगा।
इस मामले में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि हम इसकी संभावना पर कैसे विचार करें। अगर हम उन छात्राओं के लिए दोबारा एग्जाम कराते हैं, जिन्होंने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों के बावजूद हिजाब के लिए प्रदर्शन किया तो बाकी बच्चे किसी और कारण को लेकर दूसरा चांस मांगने लगेंगे, ये असंभव है।
दरअसल, प्री यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में प्रैक्टिकल के 30 नंबर लगते हैं और थ्योरी 70 नंबर की होती है। इस तरह पूरी परीक्षा 100 नंबर की होती है। ऐसे में अगर कोई प्रैक्टिकल छोड़े तो उसके पूरे 30 नंबर कट जाते हैं और उसे अपने फाइनल अंको में नुकसान उठाना पड़ता है। यही वजह है कि हिजाब विवाद पर फैसला आने के बाद उन छात्रों को के री-एग्जाम की मांग उठी, लेकिन अब प्रशासन ने साफ कर दिया है कि उन लड़कियों के लिए अलग से कोई विकल्प नहीं रखा जाएगा, जिन्होंने जिद की वजह से परीक्षाओं का बहिष्कार किया।
गौरतलब है कि 2 जनवरी 2022 से शुरू हुए हिजाब विवाद पर पिछले दिनों कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला आया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लामी प्रथा या आस्था का जरूरी हिस्सा नहीं है। चीफ जस्टिस ऋतु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच ने कहा था कि स्कूल यूनिफॉर्म अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। यह संवैधानिक रूप से स्वीकार्य है जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते हैं।
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आदेश में ये भी कहा गया था कि इस संबंध में सरकार ने 5 फरवरी 2022 को जो आदेश जारी किया था उसका उसे अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है। इस आदेश में राज्य सरकार ने उन कपड़ों को पहनने पर रोक लगा दी थी, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है।
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