इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपहरण से जुड़े मामलों में पुलिस की निष्क्रियता और लापरवाही पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि जब तक पुलिस अधिकारियों (Police Officers) की जिम्मेदारी तय नहीं की जाती, वे ऐसे मामलों में उदासीन रवैया अपनाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि अपहृत व्यक्ति का समय पर पता नहीं चल पाता, जिससे कई बार उसकी हत्या जैसी दुखद घटनाएं सामने आती हैं।
वाराणसी पुलिस आयुक्त से मांगा व्यक्तिगत हलफनामा
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर (Justice J.J Munir) और न्यायमूर्ति अनिल कुमार (Justice Anil Kumar) की खंडपीठ ने यह टिप्पणी वाराणसी निवासी नितेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिकाकर्ता ने बताया कि उसका भाई 31 मार्च 2025 से लापता है और अपहरण की आशंका जताते हुए पुलिस में तहरीर दी थी, लेकिन एफआईआर तीन अप्रैल को ही दर्ज की गई। अब तक कोई सुराग न मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
एफआईआर के बाद भी नहीं हुई ठोस कार्रवाई, कोर्ट ने मांगा जवाब
कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए वाराणसी के पुलिस आयुक्त (Varanasi Police Commissioner)
से व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया है। साथ ही पूछा है कि आखिर क्यों अब तक लापता व्यक्ति को खोजा नहीं जा सका। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें पुलिस समय रहते कार्रवाई नहीं कर पाती, जिससे पीड़ित परिवार को भारी नुकसान झेलना पड़ता है।
एटीएम धोखाधड़ी केस में भी हाईकोर्ट का सख्त रुख
इसी दौरान, हाईकोर्ट ने एटीएम धोखाधड़ी के एक मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से भी इंकार कर दिया। मुजफ्फरनगर के एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि एटीएम से पैसे निकालते समय कुछ लोगों ने धोखे से उसका पिन नंबर देख लिया और उसका कार्ड बदलकर खाते से पैसे निकाल लिए।
याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा-गंभीर जांच जरूरी
इस मामले में आरोपी नसरुद्दीन और उसके साथियों ने एफआईआर को रद्द करने की याचिका दायर की थी, जिसे खंडपीठ ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसे मामलों में गहराई से जांच की जरूरत होती है।