प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले 10 वर्षों में वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों, राजनीतिक नेताओं और राजनीतिक दलों से जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) सहित कुल 193 मामले दर्ज किए हैं. दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2015 के बाद से इन मामलों में सिर्फ दो बार दोष सिद्ध हुआ है, एक मामला 2016 में दर्ज हुआ था और दूसरा 2019 में. अब तक किसी भी अन्य मामले में कोई बरी नहीं हुआ है.
साल-दर-साल मामलों का विश्लेषण
ईडी द्वारा दर्ज मामलों की संख्या हर साल बदलती रही है।1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 के बीच 10 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2016-17 में बढ़कर 14 हो गए। 2017-18 में यह संख्या घटकर 7 रह गई, जबकि 2018-19 में फिर से 11 मामले सामने आए। 2019-20 में मामलों की संख्या में अचानक उछाल आया और 26 मामले दर्ज हुए, वहीं 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 27 हो गई। इसके बाद, 2021-22 में फिर 26 मामले दर्ज हुए, जबकि 2022-23 में यह संख्या अपने उच्चतम स्तर 32 तक पहुंच गई। 2023-24 में 27 मामले दर्ज किए गए और 1 अप्रैल 2024 से 28 फरवरी 2025 के बीच अब तक 13 मामले दर्ज हो चुके हैं। आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि 2019-20 के बाद से ईडी द्वारा दर्ज मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। खासतौर पर 2022-23 में 32 मामलों के साथ यह संख्या चरम पर रही।
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पिछले एक दशक में ईडी की गतिविधियों के आँकड़े
- मामले दर्ज:
प्रवर्तन निदेशालय ने 2014 से 2024 के बीच 5,155 PMLA ( Prevention of Money Laundering Act) मामले दर्ज किए। यह संख्या पिछले नौ वर्षों (2005-2014) के मुकाबले तीन गुना अधिक है। PMLA के तहत यह मामले आमतौर पर मनी लांड्रिंग, भ्रष्टाचार और अन्य आर्थिक अपराधों से संबंधित होते हैं। इन मामलों के माध्यम से ED ने वित्तीय अपराधों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और अधिक मजबूत किया है और कई बड़े आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही की है।
- सजा:
ED ने इस अवधि में 36 मामलों में सजा के आदेश प्राप्त किए। इन आदेशों के तहत 63 व्यक्तियों के खिलाफ अभियोजन की प्रक्रिया पूरी की गई। इसके अतिरिक्त, ED ने 24 परीक्षण मामलों में PMLA के तहत दोषी ठहराए जाने की कार्यवाही की और इनमें से 45 आरोपियों को सजा दी गई। इन सजा के आदेशों ने ED की प्रभावशीलता को साबित किया है और आर्थिक अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
- जमीनें जब्त की गई:
प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले दशक में भारतीय और विदेशी मुद्रा में 2,310 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां फ्रीज़ कीं। यह कदम उन व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ उठाया गया जिन्होंने मनी लांड्रिंग या अन्य वित्तीय अपराधों के तहत संपत्तियां अर्जित की थीं। इसके अलावा, ED ने 1,21,618 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच कीं और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA) के तहत 906 करोड़ रुपये की संपत्तियां ज़ब्त कीं। इन कार्यवाहियों से यह स्पष्ट है कि ED ने देश और विदेश में आर्थिक अपराधियों से अवैध संपत्तियों को रिकवर करने में सफलता प्राप्त की है।
- छापे मारे गए:
ED ने 2014 से 2024 के बीच 7,264 छापे मारे, जो मनी लांड्रिंग से संबंधित मामलों में शामिल थे। यह आंकड़ा पिछले दशक की तुलना में 86 गुना अधिक है। इन छापों के माध्यम से ED ने कई प्रमुख संदिग्धों और अपराधियों के खिलाफ महत्वपूर्ण सबूत प्राप्त किए, जो आगे की जांच और अभियोजन प्रक्रिया में सहायक रहे। इन छापों ने मनी लांड्रिंग नेटवर्क को उजागर किया और वित्तीय अपराधों को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राजनीतिक हलकों में बढ़ी हलचल
इन बढ़ते मामलों को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो सकती हैं। विपक्ष लंबे समय से जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाता रहा है, और इन आंकड़ों के सामने आने के बाद इस बहस को और बल मिल सकता है।
मंत्रालय ने कहा
मंत्रालय ने कहा, “ईडी अपनी जांच मामलों को विश्वसनीय साक्ष्य और सामग्री के आधार पर करता है, और इसमें राजनीतिक विचारधारा, धर्म या अन्य किसी आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। इसके अतिरिक्त, ईडी की कार्रवाई हमेशा न्यायिक समीक्षा के अधीन होती है। एजेंसी विभिन्न न्यायिक मंचों जैसे निर्णायक प्राधिकरण, अपीलीय ट्रिब्यूनल, विशेष न्यायालय, उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के प्रति जवाबदेह है, जहां पीएमएलए, फेमा और एफईओए के तहत की गई कार्रवाई की समीक्षा की जाती है।”